रायपुर / मुंबई : Amit Baghel Controversy: छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रमुख Amit Baghel (अमित बघेल) एक बार फिर विवादों में हैं। उन पर भगवान झूलेलाल और महाराजा अग्रसेन जैसे पूजनीय व्यक्तित्वों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा है। इस मामले में अब मुंबई के उल्हासनगर थाने में भी शिकायत दर्ज की गई है, जिससे विवाद छत्तीसगढ़ की सीमाओं को पार कर महाराष्ट्र तक पहुंच गया है।
मुंबई के उल्हासनगर थाने में दर्ज हुई शिकायत
महाराष्ट्र के उल्हासनगर निवासी कैलाश महेश सुखरामानी ने पुलिस में लिखित शिकायत दी है कि अमित बघेल के बयान से सिंधी समाज की Religious Sentiments (धार्मिक भावनाएं) आहत हुई हैं। उनका कहना है कि भगवान झूलेलाल पर की गई अभद्र टिप्पणी समाज के प्रति अपमानजनक है और इससे धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंची है। शिकायतकर्ता ने पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ विवाद, अब पहुंचा महाराष्ट्र
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब 26 अक्टूबर को रायपुर में छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति तोड़े जाने की घटना के बाद Johar Chhattisgarh Party के नेता अमित बघेल ने विरोध प्रदर्शन के दौरान विवादित बयान दिया। उन्होंने अपने भाषण में भगवान झूलेलाल, महाराजा अग्रसेन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय का उल्लेख करते हुए सवाल उठाए, जिससे Religious Harmony (सांप्रदायिक सौहार्द) प्रभावित हुआ।
प्रदेशभर में विरोध, अब गिरफ्तारी की मांग तेज
बघेल के बयान के बाद सिंधी और अग्रवाल समाज में भारी आक्रोश फैल गया। रायपुर, धमतरी और सरगुजा समेत कई ज़िलों में विरोध प्रदर्शन हुए। लोगों ने आरोप लगाया कि यह वक्तव्य समाज की एकता और आपसी सम्मान के खिलाफ है। अब मुंबई समेत कई शहरों में भी Legal Action (कानूनी कार्रवाई) की मांग तेज हो गई है।
अमित बघेल बोले – “माफी नहीं मांगूंगा”
विवाद बढ़ने के बाद भी अमित बघेल ने अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा, “दो चिन्हारी नहीं चलेगी, छत्तीसगढ़िया रंग में रंगना होगा।” उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति का अपमान उनके पुरखों के सम्मान का अपमान है, इसलिए उन्होंने भावनात्मक प्रतिक्रिया दी थी।
प्रशासन ने बढ़ाई सतर्कता, समाजों में बढ़ा तनाव
इस विवाद के चलते प्रशासन सतर्क हो गया है। पुलिस ने सभी शिकायतों को एकत्र कर जांच शुरू की है। धार्मिक भावनाएं भड़काने और समाज में तनाव फैलाने से जुड़ी धाराओं के तहत जांच की जा रही है। वहीं, सिंधी समाज ने कहा है कि जब तक उचित कार्रवाई नहीं होती, वे शांत नहीं बैठेंगे।
