सीजी भास्कर, 03 नवंबर | सड़क न होने से ग्रामीणों का दर्द बढ़ा (Manpat Road Problem)
Manpat Road Problem : छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट ब्लॉक से एक हृदयविदारक तस्वीर सामने आई है। सुगापानी गांव के लोगों ने युवक के शव को 3 किलोमीटर तक कंधे पर ढोकर अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाया। ग्रामीणों की यह मजबूरी केवल एक वजह से थी — गांव तक सड़क नहीं है। असगवां से आगे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह असंभव है।
10 दिन पहले भी ऐसे ही हालात में एक CAF जवान का शव पैदल ढोना पड़ा था। लोगों का कहना है, “हम मरने के बाद भी अपने अपनों को सम्मान नहीं दे पा रहे हैं।”
कच्ची सड़क और टूटी उम्मीदें
मैनपाट ब्लॉक के असगवां तक तो कच्ची सड़क है, लेकिन उसके बाद के कस्बों – सुगापानी, ढाबपारा, टिकरापारा, गिर्राडीह और नवलपारा – तक सड़क पहुंची ही नहीं। Fish River (मछली नदी) पर पुल न होने के कारण ग्रामीण इलाकों में कोई वाहन नहीं पहुंच पाता। यही वजह है कि शव वाहन (Rural Connectivity Issue) भी बीच रास्ते से लौटना पड़ता है।
Manpat Road Problem : तीन किलोमीटर पैदल यात्रा में शोक और थकान
सुगापानी निवासी अमित किण्डो (26) जेसीबी ऑपरेटर था। एक सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद शव पिकअप से असगवां तक लाया गया, लेकिन वहां से आगे रास्ता खत्म हो गया। परिजनों और ग्रामीणों ने कंधे पर शव उठाकर 3 किलोमीटर पैदल चलकर गांव तक पहुंचाया।
अमित की भाभी जयमणी किण्डो ने कहा, “वादा तो बहुत हुआ, लेकिन सड़क अब तक नहीं बनी। हर मौत के साथ हमें फिर से वही पीड़ा झेलनी पड़ती है।”
बार-बार दोहराई जाने वाली त्रासदी
सिर्फ अमित नहीं, CAF जवान लवरेंस बड़ा के परिवार को भी 10 दिन पहले यही करना पड़ा था। तब भी शव वाहन असगवां तक आया और वहां से परिजन पैदल ही शव को गांव तक लेकर गए। भाई सुलेमान बड़ा ने कहा, “वो जवान था, लेकिन मरने के बाद भी सम्मान से घर नहीं लौट सका।”
Manpat Road Problem : पूर्व सरकार में स्वीकृति, अब काम ठप
पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान SugaPani to Asgawa Road (Manpat Road Connectivity) को मंजूरी मिल चुकी थी। बजट भी पास हुआ था, लेकिन सरकार बदलने के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।
विधायक बोले – गर्मी तक बाकी गांवों तक पहुंचेगी सड़क
सीतापुर के विधायक रामकुमार टोप्पो ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला था, तब विधानसभा क्षेत्र में 50 पहुंचविहीन गांव थे। अब उनमें से 45 गांवों में कनेक्टिविटी बहाल की जा चुकी है। “हमने कई पुल-पुलियों की स्वीकृति दिलाई है। बचे हुए पांच इलाकों की सड़कें गर्मी तक पूरी कराने का प्रयास जारी है।”
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि पहले जो सरकार थी, उसने 20 साल तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया, मगर सड़कें नहीं बनाईं।
इंसानियत के लिए सड़क जरूरी
ग्रामीण अब हर शव यात्रा के साथ सड़क की मांग को फिर से उठाने की तैयारी में हैं। मैनपाट का यह इलाका न केवल भौगोलिक रूप से कठिन है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का शिकार भी है। लोगों का कहना है कि सड़क बन जाए तो स्कूल, अस्पताल और रोजगार के रास्ते भी खुल जाएंगे।
