सीजी भास्कर, 05 नवंबर। भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण के नाम पर हुए करीब 32 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में गिरफ्तार तीन पटवारी — दिनेश पटेल, लेखराम देवांगन और बसंती धृतलहरे — को मंगलवार को 14 दिन की न्यायिक रिमांड (Bharatmala Scam) पर जेल भेज दिया गया।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने सात दिन की रिमांड पूरी होने के बाद तीनों आरोपितों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया।
फर्जी नामांतरण और बंटवारे से उड़ाए करोड़ों
EOW की जांच में सामने आया है कि तीनों पटवारियों ने नायकबांधा, भेलवाडीह और टोकरो गांवों की भूमि रजिस्टर में फर्जी दस्तावेज तैयार किए, और किसानों के नाम पर मुआवजा राशि हड़प ली।
उन्होंने 2022 में बैक डेट में 2020 से पहले के नामांतरण और बंटवारे दर्ज किए, ताकि ऐसा लगे कि ये जमीनें अधिग्रहण से पहले अलग-अलग किसानों के नाम पर थीं।
एक ही भूमि को कई टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग खातों में दर्ज (Bharatmala Scam) किया गया, जिसके बाद एसडीएम स्तर से फर्जी मुआवजा प्रकरण पास कराया गया। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, कम से कम 10 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सिर्फ इन फर्जी रिकार्ड्स से की गई है।
साजिश का जाल — प्रॉपर्टी डीलर से लेकर अफसर तक
EOW को जांच में यह भी पता चला है कि महासमुंद के प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा, जिसकी पत्नी स्वयं तहसीलदार है, ने व्यवसायी विजय जैन, खेमराज कोसले और केदार तिवारी के साथ मिलकर इस पूरी साजिश को अंजाम दिया।
इन लोगों ने किसानों को मुआवजा न मिलने का डर दिखाकर उनसे ब्लैंक चेक और आरटीजीएस फार्म पर हस्ताक्षर करवाए।
इसके बाद ICICI बैंक, महासमुंद शाखा में कई फर्जी खाते खुलवाए गए और मुआवजा राशि इन्हीं खातों में ट्रांसफर कर निजी खातों में बांट ली गई।
कई आरोपी अब भी फरार
EOW की टीम ने एक सप्ताह पहले 14 ठिकानों पर छापेमारी (Bharatmala Scam) की थी। इसके बाद तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, आरआई रोशन लाल वर्मा, तहसीलदार शशिकांत कुरें, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण और पटवारी जितेंद्र साहू फरार हो गए। अब एजेंसी ने इनके खिलाफ संपत्ति कुर्की की तैयारी शुरू कर दी है।
पहले से मुआवजा मिली जमीन पर दोबारा भुगतान
जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया कि नायकबांधा जलाशय के डूबान क्षेत्र की जमीन, जिसका मुआवजा पहले ही दिया जा चुका था, उसी भूमि पर दोबारा ₹2.34 करोड़ रुपये का भुगतान कराया गया। यह रकम भी फर्जी खातों में स्थानांतरित की गई थी।
अब कलेक्टरों की भूमिका पर निगाह
EOW अब इस मामले की जांच को और आगे बढ़ाते हुए उन चार तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका खंगाल रही है, जिनके पास मुआवजा स्वीकृति का अंतिम (Bharatmala Scam) अधिकार था। संभावना है कि जल्द ही इन अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है।
