सीजी भास्कर, 7 नवंबर | छत्तीसगढ़ के कांकेर (Kanker Burial Dispute) जिले के कोडेकुर्से थाना क्षेत्र में एक ऐसा विवाद सामने आया है, जिसे देखकर सामाजिक और धार्मिक संवेदनाएँ झकझोर उठीं। मसीही समाज के एक शख्स की मौत के बाद उसके परिजनों ने निजी जमीन में अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया था, लेकिन गांव वालों ने विरोध कर दिया। लगभग तीन दिन से शव मॉर्च्युरी में रखा गया है और परिजन न्याय की गुहार लगाये हैं।
शव को दफनाने से रोका गया, आखिरकार मॉर्च्युरी में रखा गया
मामले की शुरुआत तब हुई जब 50 वर्षीय मनीष निषाद (Manish Nishad) का 4 नवंबर को रायपुर में निधन हो गया था। उसके परिजन शव को गांव ले आए और निजी जमीन में दफनाने की तैयारी करने लगे। लेकिन गांव के कुछ लोगों ने अपनी परंपरागत रीति-रिवाज के हवाले देते हुए इस दफनाने का विरोध किया।
पुलिस और प्रशासन के बीच बातचीत के बावजूद अंततः शव को कोडेकुर्से अस्पताल मॉर्च्युरी (Hospital Mortuary Kanker) में तीन दिन से रखा गया है। ()
परंपरागत व्यवस्था या धर्म-स्वतंत्रता का सवाल?
विरोध में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अंतिम संस्कार के लिए बैगा या समाज प्रमुख (Tribal Custom Kanker) की अनुमति जरूरी है और कुछ मामलों में शव को कब्रिस्तान ले जाना अपरिहार्य होता है। मसीही समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह व्यक्तिगत संपत्ति में हो रहा था, वहाँ दफन करने में क्या समस्या है?
“हमारे पास वैकल्पिक कब्रिस्तान नहीं है”, कहे पास्टर मोहन ग्वाल ने, और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की। ()
धरना-प्रदर्शन के बीच प्रशासन ने किया मध्यस्थता प्रयास
शव दफनाने की अनुमति नहीं मिलने पर मसीही समाज के लोग थाने की ओर निकल पड़े और थाना घेराव (Police Station Dharna Kanker) कर दिया।
एसपी कार्यालय से देर रात तक बातचीत चलने के बाद उन्होंने कहा है कि आज फैसला ले लिया जाएगा। ()
मामले ने सामाजिक तनाव को जन्म दिया, लोगों में चिंता बढ़ी
इस तरह के विवाद सिर्फ एक अंतिम संस्कार का नहीं रह जाते — वे समाज में धार्मिक-सामंप्रदायिक तनाव (Communal Tension Kanker) को भी बढ़ा देते हैं।
विशेष रूप से इस क्षेत्र में पिछले कुछ समय से धर्म-परिवर्तन और भूमि से जुड़े मामले चर्चा में रहे हैं। ()
न्याय की प्रतीक्षा में परिजन, मॉर्च्युरी में रखा शव
परिजन कह रहे हैं कि उनका माफीक़ अलग नहीं, केवल सम्मानजनक अंतिम संस्कार (Respectful Burial) है। तीन दिन से मॉर्च्युरी में रखा शव, एवं दैनिक बात-चीत से अपमानित महसूस कर रहे हैं।
इन दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता हो रही है, पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ है।
