छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेल हादसे (Bilaspur Train Accident Investigation) की जांच अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। हादसे के बाद रेलवे सुरक्षा आयोग (CRS) की टीम लगातार अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है। अब तक 29 से अधिक लोगों से बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
लोको पायलट की अनुमति पर उठे सवाल
जांच के दौरान सबसे बड़ा सवाल यह सामने आया कि जिस लोको पायलट (Loco Pilot Psychological Test) को लोकल मेमू ट्रेन चलाने की अनुमति दी गई, वह साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल पाया गया था।
जांच टीम यह जानने की कोशिश कर रही है कि इसके बावजूद उसे ट्रेन संचालन की अनुमति क्यों और कैसे दी गई। प्रारंभिक जानकारी में कई स्तरों पर प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है।
CRS की जांच टीम ने निकाले महत्वपूर्ण बिंदु
रेलवे सुरक्षा आयोग की टीम ने जांच के दौरान घटनाक्रम की बारीकियों का अध्ययन किया।
टीम ने यह पाया कि हादसे के दिन जोन अधिकारी (Zone Officer Negligence) की ओर से निगरानी में गंभीर चूक हुई थी।
न तो समय पर निर्देश जारी किए गए, न ही सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया गया। इससे ट्रेन संचालन में गड़बड़ी की स्थिति बनी।
Bilaspur Train Accident Investigation: 15 नवंबर तक रिपोर्ट आने की संभावना
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, CRS टीम अपनी विस्तृत रिपोर्ट 15 नवंबर तक (CRS Investigation Report) सौंप सकती है।
इस रिपोर्ट में हादसे की असली वजह, जिम्मेदार अधिकारी और सुरक्षा चूक के सभी पहलुओं का उल्लेख किया जाएगा।
टीम ने लोको पायलट के मानसिक और शारीरिक परीक्षण से जुड़े दस्तावेजों की भी गहन समीक्षा की है। इससे यह स्पष्ट होगा कि ट्रेन चलाने की अनुमति देने में कहाँ पर प्रक्रियागत भूल हुई।
रेलवे ने शुरू की सुरक्षा समीक्षा
हादसे के बाद रेलवे प्रशासन ने सुरक्षा मानकों की व्यापक समीक्षा शुरू की है।
सभी जोन और डिवीज़न को निर्देश दिए गए हैं कि ट्रेन संचालन से पहले तकनीकी और मानसिक फिटनेस की दोहरी जांच की जाए।
अधिकारियों का कहना है कि यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि निगरानी व्यवस्था की कमजोरी का परिणाम था।
स्थानीय लोगों ने सराही जांच टीम की तत्परता
हादसे के बाद जांच टीम के मौके पर पहुंचने और पारदर्शी जांच प्रक्रिया की सराहना स्थानीय लोगों ने की है।
कई प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं।
टीम का मानना है कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ट्रेन रूट्स पर नियमित तकनीकी निरीक्षण को और सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
जल्द होगी कार्रवाई, जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जांच रिपोर्ट के बाद दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई (Railway Disciplinary Action) की पूरी संभावना है।
विभागीय जांच के तहत लापरवाही साबित होने पर निलंबन और सेवा समाप्ति तक के कदम उठाए जा सकते हैं।
रेलवे प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशिक्षण और परीक्षण प्रणाली को और मजबूत किया जाएगा।
