सीजी भास्कर, 9 नवंबर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अधिवक्ताओं के साथ तेलीबांधा थाने में हुई मारपीट के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। (CG Court News) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आनंद कुमार सिंह ने शुक्रवार को अपने फैसले में सहायक उपनिरीक्षक संतोष यादव और उपनिरीक्षक चित्रलेखा साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। अदालत ने इस घटना को अत्यंत गंभीर मानते हुए दोनों पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की है।
अधिवक्ताओं पर हमला बना न्यायिक मामला
मामला 7 अप्रैल 2025 का है, जब तेलीबांधा थाना परिसर में अधिवक्ता हिमांशु ठाकुर और अजय साहू के साथ मारपीट और गाली-गलौच की गई थी। घटना के बाद पीड़ित अधिवक्ताओं ने तत्काल मेडिकल परीक्षण करवाकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत दी थी।
(Raipur Police Assault Case) शिकायत में थाने के अंदर हुए दुर्व्यवहार और शारीरिक हमले का विस्तृत विवरण दिया गया था। घटना सामने आने के बाद पुलिस विभाग ने दोनों पुलिसकर्मियों संतोष यादव और चित्रलेखा साहू को तत्काल प्रभाव से थाना तेलीबांधा से हटाकर रक्षित केंद्र रायपुर स्थानांतरित कर दिया था। इसके साथ ही थाने में लगे सीसीटीवी फुटेज भी जांच के लिए मांगे गए थे।
कोर्ट ने माना गंभीर अपराध
अधिवक्ताओं की ओर से जब इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो उन्होंने न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chhattisgarh Judiciary) ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस कर्मियों का यह कृत्य न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि न्याय व्यवस्था की गरिमा के साथ खिलवाड़ भी है।
अदालत ने साफ कहा कि “कानून के रखवाले अगर खुद कानून तोड़ें तो यह समाज के लिए खतरनाक संकेत है। कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की उपयुक्त धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाए और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाए।
अधिवक्ताओं में संतोष, कार्रवाई पर निगाहें
कोर्ट के आदेश के बाद अधिवक्ताओं में राहत और संतोष का माहौल है। वकील हिमांशु ठाकुर ने कहा कि “हमने केवल न्याय की मांग की थी, और कोर्ट ने न्याय दिलाया। यह फैसला सिर्फ हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरे अधिवक्ता समुदाय के सम्मान के लिए है। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक फैसला है। (Raipur Court Decision) इससे यह संदेश गया है कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ, चाहे वह किसी भी पद पर हो, न्याय समान रूप से लागू होगा।
