Jagdalpur Medical Negligence Case : छत्तीसगढ़ के जगदलपुर (Jagdalpur) से स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही (Medical Negligence) का एक दर्दनाक मामला सामने आया है। ग्राम खोटलापाल में रहने वाली 60 वर्षीय रामशिला की मौत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Center) में डॉक्टर और नर्स की अनुपस्थिति के कारण हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया है कि अगर समय पर इलाज (Emergency Treatment) मिल जाता, तो उनकी जान बचाई जा सकती थी।
रात 2 बजे अस्पताल पहुंचे परिजन, लेकिन बंद रहा अस्पताल का दरवाज़ा
घटना शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात करीब दो बजे की बताई जा रही है। रामशिला की तबीयत अचानक बिगड़ने पर परिवारजन उसे सीएचसी (CHC Khotalapal) लेकर पहुंचे। उन्होंने कई बार दरवाजा खटखटाया, लेकिन अस्पताल से कोई जवाब नहीं मिला। उस वक्त न डॉक्टर मौजूद थे, न नर्स।
करीब दो घंटे तक महिला दर्द से तड़पती रही और आखिरकार सुबह चार बजे उसने दम तोड़ दिया। सुबह छह बजे जब अस्पताल स्टाफ पहुंचा, तब तक महिला की मौत हो चुकी थी।
Jagdalpur Medical Negligence Case : परिजनों का आरोप – “ड्यूटी पर कोई नहीं था, अगर डॉक्टर होते तो बच जाती जान”
मृतका के परिजनों ने कहा कि उन्होंने कई बार अस्पताल के गेट और खिड़की पर दस्तक दी, लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब रात की ड्यूटी में अस्पताल बंद मिला हो। अक्सर रात्रिकालीन शिफ्ट में डॉक्टर और नर्स अनुपस्थित रहते हैं।
गांव वालों ने कहा — “अगर डॉक्टर और नर्स (Medical Staff) अपनी ड्यूटी पर होते, तो रामशिला आज जिंदा होती।”
प्रशासन ने दी सफाई, कहा – “डॉक्टर रात तक ड्यूटी पर थे”
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजय बसाक ने बताया कि रात दो बजे तक डॉक्टर और नर्स अस्पताल में मौजूद थे और मरीज को प्राथमिक उपचार (Primary Treatment) दिया गया था, लेकिन उसकी हालत पहले से गंभीर थी। उन्होंने कहा कि घटना की जांच (Inquiry Ordered) के निर्देश दिए गए हैं और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।
Jagdalpur Medical Negligence Case : ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं पर फिर उठे सवाल
इस घटना (Health System Failure) ने एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खोटलापाल जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में रात्रिकालीन ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों और स्टाफ की अनुपस्थिति की शिकायतें पहले भी मिलती रही हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि अस्पतालों में 24 घंटे स्टाफ की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए और अनुपस्थित कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
लोगों की निगाह अब जांच और कार्रवाई पर
मामला अब प्रशासनिक जांच के दायरे में है। स्थानीय लोगों की नजर इस बात पर है कि क्या वाकई दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी औपचारिक जांच तक ही सीमित रह जाएगा।
लोगों का कहना है कि जब तक ज़मीनी स्तर पर जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं (Negligence Incidents) दोहराई जाती रहेंगी।
