सीजी भास्कर, 12 नवंबर | CGMSC Drug Blacklist : छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) ने दवा गुणवत्ता में लापरवाही पर सख्त कदम उठाया है। दवाओं की गुणवत्ता जांच (Drug Quality Test) के दौरान तीन दवाएं Non Standard Quality (NSQ) पाई गईं। इसके बाद दो दवा कंपनियों को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। यह फैसला राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
तीन दवाएं हुईं फेल, दो कंपनियों पर गिरी गाज
कॉरपोरेशन की जांच में M/s AG Parenterals, बद्दी (हिमाचल प्रदेश) द्वारा सप्लाई की गई Calcium with Vitamin D3 Tablets और Ornidazole Tablets को अमानक पाया गया।
वहीं, M/s Divine Laboratories Pvt. Ltd., वडोदरा (गुजरात) की Heparin Sodium Injection 1000 IU/ml भी NABL Certified Labs और Central Drug Laboratory (CDL), Kolkata की जांच में फेल रही।
इन दवाओं को मरीजों तक पहुंचाने से पहले बैच-वार टेस्ट किया गया था, जिसमें यह मानक पर खरी नहीं उतरीं।
तीन साल तक नहीं कर सकेंगी सप्लाई
CGMSC ने निविदा की शर्तों के अनुरूप दोनों कंपनियों को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने का आदेश जारी किया है। इस दौरान कंपनियां किसी भी सरकारी दवा सप्लाई निविदा में भाग नहीं ले सकेंगी।
कॉरपोरेशन ने साफ कहा कि गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जाएगा। जो भी कंपनी दवा मानकों में कमी पाएगी, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्वालिटी पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी
CGMSC ने अपनी गुणवत्ता नीति (Quality Policy) पर दोहराया कि हर बैच की कड़ी मॉनिटरिंग, सैंपल टेस्टिंग, और री-टेस्टिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है।
अगर किसी बैच में भी मानक से विचलन पाया जाता है, तो तुरंत जांच और कार्रवाई की जाती है।
कॉरपोरेशन ने कहा कि यह कदम Drugs & Cosmetics Act, 1940 और Rules 1945 के तहत पूरी कानूनी प्रक्रिया के साथ उठाया गया है।
मरीजों तक सिर्फ गुणवत्तायुक्त दवा पहुंचेगी
CGMSC ने स्पष्ट किया कि राज्य में मरीजों को अब केवल Standard Quality Drugs ही उपलब्ध कराई जाएंगी।
हर सप्लाई को Quality Assurance System के तहत जांचा जाएगा ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही की गुंजाइश न बचे।
स्वास्थ्य विभाग का यह कदम भविष्य में अन्य सप्लायर कंपनियों के लिए एक सख्त संदेश भी है — दवा में गुणवत्ता से समझौता नहीं चलेगा।
