सीजी भास्कर, 22 नवंबर। स्कूली बच्चों के साथ अब शिक्षक और प्राचार्य को स्कूल के आसपास घूमने वाले कुत्तों की निगरानी करनी होगी (DPI Circular Controversy) लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) के इस नए निर्देश ने प्रदेशभर के शिक्षकों में नाराजगी बढ़ा दी है। शालेय शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने इसे पूरी तरह अव्यवहारिक और अतिरिक्त कार्यभार बताया।
उन्होंने कहा कि शिक्षक-प्राचार्यों पर पहले से ही शैक्षणिक नेतृत्व, गैर-शैक्षणिक योजनाओं का क्रियान्वयन, मिड-डे मील प्रबंधन, दस्तावेजीकरण सहित कई जिम्मेदारियाँ हैं। ऐसे में नए निर्देश थोपना उचित नहीं है। आदेश के अनुसार स्कूल प्रमुखों को फेंसिंग, गेट, अल्ट्रासाउंड वेव से लेकर परिसर की दैनिक सफाई तक की ज़िम्मेदारी दे दी गई है, जिससे वे अपने मूल कार्य से भटकेंगे।
निर्देश में यह भी कहा गया है कि स्कूलों के प्राचार्य या संस्था में किसी अन्य को नोडल अधिकारी बनाया जाए, जो परिसर में विचरण करने वाले कुत्तों की सूचना ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगरीय निकायों को दे—ताकि डॉग कैचर दल उन्हें पकड़ सके।
पंचायत और नगरीय प्रशासन की जिम्मेदारी
प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने स्पष्ट कहा कि आवारा पशुओं का नियंत्रण पूरी तरह नगर निगम, पंचायत और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। शासन अपनी मूल जिम्मेदारी से हटकर पूरा बोझ शिक्षकों पर डाल रहा है। किसी अप्रिय घटना की स्थिति में स्कूल प्रमुख कानूनी पचड़ों में फंस सकते हैं, जबकि न तो उनके पास प्रशिक्षण है और न ही आवश्यक संसाधन।
DPI Circular Controversy शिक्षक संगठनों की मुख्य मांगें
यह अव्यवहारिक और गैर-शैक्षणिक निर्देश तुरंत वापस लिया जाए
आवारा पशु नियंत्रण नगर निगम/पंचायत जैसे विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा ही किया जाए
स्कूल प्रमुखों को उनके मूल कार्य—शैक्षणिक नेतृत्व और बच्चों के भविष्य को आकार देने—पर ध्यान देने दिया जाए
शिक्षकों को केवल शिक्षण कार्य की जिम्मेदारी दी जाए, गैर-शैक्षणिक बोझ न डाला जाए
शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि निर्देश वापस नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन की रूपरेखा तय करेंगे।
