सीजी भास्कर, 27 नवंबर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के ग्राम नारायणपुर में कुम्हार समाज द्वारा आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ एवं चक्र पूजा कार्यक्रम में शामिल होकर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम में उन्होंने कुम्हार समाज के विकास और माटी कला के संवर्धन के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जशपुर के ग्राम गोरिया में माटी कला बोर्ड के माध्यम से (Jashpur Glazing Unit) एक अत्याधुनिक ग्लेज़िंग यूनिट स्थापित की जाएगी, जिससे कुम्हारों को आधुनिक फिनिशिंग तकनीक मिलेगी और उनके उत्पादों की बाजार मूल्य में वृद्धि होगी।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सरगुजा संभाग के 100 कुम्हारों को (Electronic Pottery Wheel Distribution) इलेक्ट्रॉनिक चाक (इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील) वितरित किए, जिससे काम में मेहनत कम होगी और उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ेगी। उन्होंने कुम्हार समाज के मंगल भवन के विस्तार के लिए 25 लाख रुपये की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार पारंपरिक कारीगरों के विकास, प्रशिक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि चक्र पूजा केवल मिट्टी के चाक की पूजा नहीं, बल्कि सृजन, परिश्रम और निरंतरता का प्रतीक है। कुम्हार समाज छत्तीसगढ़ी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और उनकी कारीगरी तीज-त्योहारों से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक हर परंपरा को जीवंत बनाती है। उन्होंने बताया कि माटी कला बोर्ड के माध्यम से नए डिजाइन, आधुनिक तकनीक और उद्यमिता से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार संचालित किए जा रहे हैं, ताकि कारीगर आत्मनिर्भर बन सकें।
उन्होंने कहा कि सरकार मार्केटिंग सपोर्ट भी बढ़ा रही है, जिससे कुम्हार समाज के उत्पाद प्रदर्शनियों, मेलों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से पूरे देश और विदेशों तक पहुँच सकें। उन्होंने कुम्हारों से अपील की कि वे अपने कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर छत्तीसगढ़ की माटी कला को (Chhattisgarh Kumhar Welfare) वैश्विक पहचान दिलाएँ।
कार्यक्रम में वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधायक गोमती साय, रायमुनी भगत, पद्मश्री जागेश्वर यादव, माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष शंभूराम चक्रवर्ती, जिला पंचायत अध्यक्ष सालिक साय, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, नगर पालिका अध्यक्ष अरविंद भगत, उपाध्यक्ष शौर्य प्रताप सिंह जूदेव सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और ग्रामीण उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों को मुख्यधारा में लाना और माटी कला को नया उद्योग-आधारित स्वरूप देना है। यह पहल कारीगरों की आजीविका को मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगी।
