सीजी भास्कर, 28 नवंबर | पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में Technician Recruitment Irregularity को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। टेक्नीशियन ग्रेड-2 के एक पद पर की गई नियुक्ति में आयु-मानदंड तोड़ने का आरोप लगाया गया है। दस्तावेज़ बताते हैं कि जिस विज्ञापन में अधिकतम आयु 35 वर्ष तय थी, उसी पद पर 37 वर्ष से अधिक आयु वाले उम्मीदवार की नियुक्ति कर दी गई।
RTI में उजागर हुआ पूरा गणित—आयु 37 साल 5 माह, फिर भी चयन
NSUI द्वारा हासिल RTI दस्तावेजों के अनुसार विज्ञापन 28 दिसंबर 2011 को जारी हुआ था। नियुक्त उम्मीदवार बालगोविंद नायक की जन्मतिथि 15 जुलाई 1974 दर्ज है। इस हिसाब से विज्ञापन तिथि पर उनकी आयु 37 वर्ष 5 माह 13 दिन होती है। यानी वे सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित पात्रता सीमा से लगभग ढाई वर्ष अधिक थे। इसके बावजूद उन्हें Unreserved Category में चयनित किया गया, जो नियमों से सीधे टकराता है।
उच्च संस्थानों को गलत जानकारी भेजने का आरोप
एनएसयूआई जिला अध्यक्ष शांतनु झा ने बताया कि मामला सिर्फ Age Limit Violation (Focus Keyphrase) का नहीं है, बल्कि इससे भी गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं। उनके अनुसार—
विश्वविद्यालय प्रशासन ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा कार्यालय, राज्यपाल कार्यालय, UGC और NAAC तक को भेजे गए पत्रों में गलत जानकारी दी।
रिपोर्टों में उम्मीदवार को OBC Category का बताया गया, जबकि नियुक्ति दस्तावेज़ साफ कहते हैं कि चयन अनारक्षित वर्ग में हुआ था। यह अंतर प्रशासन की मंशा पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
फाइलें रोके रखने से लेकर नोटशीट में मिथ्या प्रविष्टि तक—दस्तावेजों में दर्ज अनियमितताएं
एनएसयूआई का दावा है कि उनके पास ऐसे प्रमाण मौजूद हैं, जिनमें दिखाया गया है कि पूरे प्रकरण को दबाने की कोशिश की गई। आरोपों में शामिल हैं—
- शिकायतों को वर्षों तक लंबित रखना,
- संवेदनशील फाइलों को रोककर रखना,
- नोटशीट में गलत प्रविष्टियां करना,
- जांच को जानबूझकर आगे न बढ़ाना।
इन दस्तावेजों से यह आशंका मजबूती से उभरती है कि प्रकरण में Internal Manipulation की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
नियुक्ति निलंबन और उच्च-स्तरीय जांच की मांग
एनएसयूआई का कहना है कि यह पूरा मामला एक गंभीर Recruitment Scam Issue है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि—
- उपलब्ध साक्ष्यों की जांच के आधार पर नियुक्ति को तुरंत निलंबित या समाप्त किया जाए,
- पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय या राज्य-स्तरीय जांच कराई जाए,
- शासन को गलत जानकारी भेजने वाले अधिकारियों पर विधिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई लागू की जाए।
एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे चरणबद्ध आंदोलन और प्रदर्शन की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
