सीजी भास्कर, 02 दिसंबर। अयोध्या को वैश्विक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित (Ayodhya Temple Museum) करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तावित ‘विश्वस्तरीय मंदिर संग्रहालय’ का दायरा और बढ़ा दिया गया है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना टाटा संस के सहयोग से तैयार की जाएगी, जो अयोध्या की पहचान को एक नए स्तर पर ले जाने की क्षमता रखती है।
वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के अनुसार, पहले यह संग्रहालय अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ नजूल भूमि पर प्रस्तावित था, लेकिन परियोजना के विस्तार और अंतरराष्ट्रीय (Ayodhya Temple Museum) दर्जे को ध्यान में रखते हुए टाटा संस ने अधिक भूमि की आवश्यकता जताई।
अब इस योजना के लिए कुल 52.102 एकड़ भूमि आवंटित कर दी गई है, जिसमें पहले की 25 एकड़ के साथ अतिरिक्त 27.102 एकड़ भूमि जोड़ी गई है। यह पूरी भूमि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में नि:शुल्क हस्तांतरित होगी। परियोजना को आकार देने के लिए भूमि टाटा संस को 90 वर्षों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।
टाटा संस ने अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) फंड से इस अत्याधुनिक (Ayodhya Temple Museum ) मंदिर संग्रहालय को विकसित और संचालित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए कंपनी अधिनियम–2013 की धारा आठ के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था बनाई जाएगी, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और टाटा संस के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे। मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना के लिए त्रिपक्षीय एमओयू पहले ही 3 सितंबर 2024 को हस्ताक्षरित हो चुका है, जिससे इसके औपचारिक कार्यान्वयन का रास्ता साफ हो गया है।
यह व्यापक परियोजना अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेगी और स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार व पर्यटन को बढ़ावा देने की क्षमता रखती है। सरकार का मानना है कि मंदिर संग्रहालय आने वाले समय में अयोध्या की पहचान का एक प्रतिष्ठित केंद्र बनेगा।
