सीजी भास्कर, 10 दिसंबर। यूपी पुलिस में तैनात रही महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा की जांच अब बड़े खुलासों की ओर बढ़ रही है। एसआईटी की तफ्तीश ने उन पर लगे आरोपों को सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि वर्षों पुराने सुनियोजित नेटवर्क की परतों की तरह सामने (Police Honeytrap Case) रखा है।
जानकारी सामने आई है कि मीनाक्षी लंबे समय से पुलिसकर्मियों से नजदीकियां बढ़ाकर निजी बातचीत को हथियार बनाती और फिर लाखों रुपये की मांग कर ब्लैकमेल करती थी। बीते दिनों यह मामला अचानक सुर्खियों में आया, और अब तंत्र के भीतर की कई कहानियाँ धीरे-धीरे सतह पर तैर रही हैं।
बताया जाता है कि 2022 में पूरनपुर थाने में तैनाती के दौरान उसने एक सिपाही को अपने संबंधों में उलझाया और बड़ी राशि की मांग रखी। वहीं, बरेली और जालौन में भी कई दारोगा–सिपाही उसके संपर्क में आए, जिनसे वह निजी बातें रिकॉर्ड कर रकम वसूलने का दबाव बनाने (Police Honeytrap Case) लगी।
जांच में यह भी सामने आया है कि इस पूरे ऑपरेशन में उसके पिता और भाई सक्रिय भूमिका निभाते थे—संदेश, कॉल और आर्थिक लेनदेन की कई कड़ियाँ इसी ओर इशारा करती हैं। गिरफ्तारी के वक्त भी पिता ने उसे भरोसा दिलाया कि “सब संभाल लिया जाएगा।”
मोबाइल रिकॉर्डिंग और तकनीकी रिपोर्ट इस कहानी को और स्पष्ट करती है। सिर्फ तीन दिनों की कॉल डिटेल रिपोर्ट में 100 से अधिक कॉल सामने आईं—वॉट्सऐप और मोबाइल दोनों माध्यमों पर। यह स्वयं बताने के लिए काफी है कि मीनाक्षी किन-किन थानों और अफसरों से लगातार जुड़ी (Police Honeytrap Case) थी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक कोंच, नदीगांव, कुठौंद और उरई क्षेत्रों से कई फोन नंबर संदिग्ध चैट और बातचीत के साथ मिले हैं, जिन्हें अब एक-एक कर एसआईटी जांच रही है।
इस केस की सबसे दर्दनाक कड़ी वहीं शुरू होती है, जिस रात कुठौंद थाना प्रभारी अरुण कुमार राय को गोली लगी और उनकी मौत हो गई। मीनाक्षी कमरे से बाहर निकलकर चिल्लाई कि राय ने खुद को गोली मार ली—लेकिन कुछ ही घंटे बाद बात उलट (Police Honeytrap Case) गई।
थाना प्रभारी की पत्नी माया देवी ने हत्या का आरोप लगाया और एफआईआर दर्ज होते ही जांच ने रुख बदल दिया। पूछताछ और डिजिटल साक्ष्यों के बाद मीनाक्षी जेल भेजी गई, और मामला धीरे-धीरे ब्लैकमेल–पैसे–रिश्तों के तिकोने में बदलता दिखने लगा।
एसआईटी अब इस केस को सिर्फ एक मौत नहीं बल्कि एक संभावित हनीट्रैप और ब्लैकमेल सिंडिकेट के रूप में देख रही है। पूरनपुर में 25 लाख रुपये की मांग, बरेली के अफसरों पर आरोप, और कई सिपाहियों से लगातार संपर्क—ये सभी तथ्य अब रिपोर्ट का हिस्सा बन रहे हैं। विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी, जिससे आगे की कार्रवाई तय होगी।
यह कहानी सिर्फ पुलिस विभाग के भीतर की संवेदनशीलता को उजागर नहीं करती, बल्कि यह भी समझाती है कि रिश्ता, भरोसा और वर्दी—इन तीनों में जहाँ भी कमी पैदा होती है, वहाँ साजिश की जमीन पनपने लगती है।


