सीजी भास्कर, 10 दिसंबर। भोपाल की ओर जाने वाली पटरियों पर इन दिनों एक अजीब-सी बेचैनी (Mobile Snatching Bhopal Route) घूमती है। सफर लंबा हो या छोटा, ट्रेन आउटर पर रुके और यात्रियों की नजरें एक पल ढीली पड़ें– तभी कोई अदृश्य हाथ मोबाइल पर कब्ज़ा कर लेता है। बीते कुछ हफ्तों में ऐसे कई यात्री सामने आए हैं, जिनके मुताबिक चोरी का तरीका लगभग एक जैसा दिखा– ट्रेन रुकते ही हल्की भागदौड़ और भीड़ के बीच मोबाइल हवा में जैसे घुल जाता है।
इटारसी की ओर बढ़ रही एक एक्सप्रेस ट्रेन में दीपांशु पांडेय नाम के यात्री ने भी यही झटका महसूस किया। लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से प्रयागराज की यात्रा पर रहे दीपांशु ने बताया, “इटारसी आउटर के पास ट्रेन थमी, पलभर में ध्यान हटते ही मोबाइल हाथ से फिसल गया– या कहें खींच लिया (Mobile Snatching Bhopal Route) गया।” उनका स्मार्टफोन करीब 15 हजार रुपये का था और फोन कवर में रखे पांच हजार रुपये नकद भी साथ-साथ गायब मिले। जीआरपी ने घटना का केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
इसी रूट पर सफर कर रहे सीहोर जिले के अहमदपुर निवासी मनोज गौर को भी जेब हल्की होने का दर्द महसूस हुआ। भोपाल से जबलपुर जा रहे मनोज ओवरनाइट एक्सप्रेस में चढ़े ही थे कि उनका 12 हजार रुपये कीमत वाला मोबाइल भीड़ के बीच कहीं गुम हो गया। न किसी ने हाथ देखा, न शक की दिशा मिली, बस जेब खाली और मन सवालों से भारी।
एक अन्य घटना में, सोनभद्र (उ.प्र.) के सुरेश पाल नर्मदा एक्सप्रेस से पैंड्रा रोड से उज्जैन की ओर जा रहे थे। भोपाल रेलवे स्टेशन पर नींद टूटी तो जेब खाली पड़ी मिली। उनका 21 हजार रुपये का स्मार्टफोन मानो नींद के साथ ही उनसे छूट गया।
इधर, झांसी के रहने वाले चंद्रभान सिंह का 30 हजार रुपये कीमत का मोबाइल भोपाल प्लेटफॉर्म से ही गायब (Mobile Snatching Bhopal Route) हो गया। वे जैसे ही सामान संभालने झुके, कोई अनदेखा कदम जेब में उतरकर फोन को चुपचाप लेकर निकल गया। सभी मामलों में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, पर यात्रियों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है– आखिर ये चोरियाँ आउटर पर रुकी ट्रेनों में ही इतनी बढ़ क्यों रही हैं?
रात की हवा, खुला डिब्बा, यात्रियों की थकान और आउटर पर लंबा ठहराव– शायद यही वह खिड़की है, जिससे चोरी का खेल अंजाम दिया जा रहा है। अनगिनत फोन महज कुछ सेकंड में रेल ट्रैक के आसपास की अंधेरी गलियों में लोप हो जाते हैं और अगले स्टेशन तक यात्री सिर्फ अंदेशों में रह जाते हैं।
रेल यात्रियों के लिए सबक साफ है– सफर कितना ही सुरक्षित लगे, फोन पर ढ़ील बिलकुल न दें। खासकर आउटर पर ट्रेनों के ठहराव के दौरान सतर्क रहना, जेब-स्लॉट्स पर हाथ और नजर बनाए रखना ही फिलहाल सबसे मजबूत सुरक्षा है।


