जमीन पर बढ़ते कब्जों और लगातार सामने आती शिकायतों के बीच, हाईकोर्ट ने एक ऐसी टिप्पणी की है जिसने आम लोगों की चिंताओं को सीधे शब्दों में पकड़ लिया है। अदालत ने साफ कहा कि Land Mafia Issue देशभर में फैल चुका है और आम नागरिक के लिए अपनी ही जमीन को सुरक्षित रखना अब किसी संघर्ष से कम नहीं रहा।
इस टिप्पणी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर जमीन मालिकों की सुरक्षा का ठोस समाधान कब तक सिर्फ कागजों में ही अटका रहेगा।
मां ने नाबालिग बेटी की जमीन बेचने की लगाई गुहार
याचिका में एक महिला ने बताया कि वह अपनी नाबालिग बेटी के नाम दर्ज जमीन की देखरेख के लिए सक्षम नहीं है। कारण—घर से जमीन कई सौ किलोमीटर दूर है और वहां लगातार encroachment risk बना रहता है।
महिला की दलील रही कि दूरी और असुरक्षा की वजह से जमीन पर कभी भी अतिक्रमण हो सकता है, जिसे रोक पाना उसके बस में नहीं। अदालत ने स्थिति को देखते हुए मामले में बेहद संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया।
शर्तों के साथ जमीन बेचने की मिली अनुमति
अदालत ने सभी तथ्यों को समझने के बाद जमीन की बिक्री की अनुमति तो दी, लेकिन एक महत्वपूर्ण शर्त के साथ—जमीन बेचने से मिलने वाली राशि का 50% हिस्सा नाबालिग के नाम एक राष्ट्रीयकृत बैंक में Fixed Deposit Security (focus keyphrase) के रूप में रखा जाएगा।
यानी, यह रकम नाबालिग के वयस्क होने तक सुरक्षित रहेगी और बिना जरूरत उसके उपयोग पर रोक रहेगी। यह फैसला नाबालिग के भविष्य को ध्यान में रखकर दिया गया है।
पति की मौत के बाद अकेले संघर्ष कर रही थी महिला
मामले में यह भी सामने आया कि महिला के पति रेलवे से जुड़े थे और कुछ साल पहले उनका निधन हुआ। परिवार को मिले अनुकंपा लाभ के कारण वह अपने मूल शहर से दूर जाकर बस चुकी है।
ऐसी स्थिति में दूर स्थित गांव की जमीन की देखभाल करना आसान नहीं था। अदालत ने यह मानते हुए कि वहाँ जमीन पर land grabbing threats लगातार बने रहते हैं, महिला को राहत दी।
अदालत का फैसला बना कई लोगों की परेशानी का आईन
इस निर्णय ने एक बार फिर यह हकीकत सामने रखी है कि देश के अलग–अलग इलाकों में जमीन पर कब्जा, जबरन दखल और भू-माफियाओं की सक्रियता कोई नई बात नहीं रह गई है।
लोगों को अपने ही संपत्ति अधिकारों को बचाने के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। अदालत की टिप्पणी इस व्यापक समस्या को सीधा उजागर करती है और बताती है कि समस्या कितनी जटिल हो चुकी है।


