सीजी भास्कर, 10 दिसंबर। राजस्थान के डूंगरपुर जिले के भाटौली गांव में मंगलवार को ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसे देखकर ग्रामीण भावुक हो उठे। गांव की 72 वर्षीया महिला सज्जन कंवर की अंतिम यात्रा में 50 से अधिक गायें शामिल हुईं (Unique Funeral With Cows)। माना जा रहा है कि गायों का इस तरह अंतिम यात्रा में साथ चलना उनकी गौ-सेवा और जीव-दया के प्रति भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।
ग्रामीणों के अनुसार दिवंगत महिला प्रतिदिन गौवंश, कुत्तों और पक्षियों को भोजन कराती थीं। उनका जीवन दया, सेवा और धार्मिक भाव से जुड़ा रहा। इसी कारण अंतिम यात्रा शुरू होने के साथ ही गायों का झुंड स्वतः पीछे चल पड़ा और गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित श्मशान भूमि तक पहुंचा (Unique Funeral With Cows)। ग्रामीणों ने बताया कि पूरे समय गायें अनुशासित रूप से शव यात्रा के पीछे-पीछे चलती रहीं और संस्कार पूर्ण होने के बाद पुनः गांव लौट गईं।
गांव के स्वर्गीय नाथू सिंह की पत्नी सज्जन कंवर के निधन के बाद अंतिम यात्रा निकाली गई थी। लोग बताते हैं कि सज्जन कंवर ने जीवनभर जीव-मात्र की सेवा की — सुबह-शाम गायों को चारा, कुत्तों को भोजन और पक्षियों के लिए दाना-पानी करती थीं। इसी स्नेह, सेवा और संवेदना को मानो पशुओं ने भी समझा और अंतिम क्षण तक साथ निभाया।
अंतिम संस्कार के बाद जब गायें पुनः लौट गईं, तो वातावरण भावुक हो उठा। कई ग्रामीणों ने इसे धर्म, आस्था और जीव-सेवा की शक्ति बताया। उनका कहना है कि जो मनुष्य बिना भेदभाव जीवों की सेवा करता है, प्रकृति भी उसका सम्मान किसी न किसी रूप में लौटाती है ।


