सीजी भास्कर, 10 दिसंबर। राज्यसभा में मंगलवार को शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्यता (TET Exemption Demand) का मुद्दा जोरदार तरीके से उठा। शून्यकाल के दौरान सबसे पहले भाजपा सदस्य सीमा द्विवेदी ने सरकार से आग्रह किया कि टीईटी नियम लागू होने के कारण लाखों शिक्षक मानसिक दबाव में हैं, इसलिए उन्हें राहत देने के लिए तत्काल विकल्प तैयार किए जाएं।
इसके बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी इस मुद्दे को सशक्त रूप से रखा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से देशभर के लगभग 25 लाख शिक्षक प्रभावित हैं, जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में यह संख्या करीब दो लाख है। उन्होंने चेताया कि कई अनुभवी शिक्षक सेवा से बाहर होने की आशंका में हैं, जिसे दूर करने की आवश्यकता है ।
सीमा द्विवेदी ने सदन में कहा कि कई शिक्षक वर्षों से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, लेकिन अब उन्हें दो वर्ष के भीतर TET उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे न केवल शिक्षकों की नौकरी पर संकट उत्पन्न हुआ है, बल्कि संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था भी अनिश्चितता के दौर में आ गई है। उन्होंने मांग की कि सरकार इस नियम पर पुनर्विचार कर शिक्षकों के हितों की रक्षा करे।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार 27 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए दो साल में टीईटी पास करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में शिक्षक उम्र, तैयारी के वातावरण और संसाधनों की कमी की वजह से परीक्षा उत्तीर्ण करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को हस्तक्षेप कर ऐसे शिक्षकों के लिए वैकल्पिक पात्रता व्यवस्था या छूट देने पर विचार करना चाहिए (TET Exemption Demand), जिससे स्थायी नौकरी पर मंडरा रहा खतरा समाप्त हो सके।


