सीजी भास्कर, 17 दिसंबर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बुधवार सत्र में स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े बुनियादी और संवेदनशील मुद्दे (School Building Shortage) चर्चा में रहे। शिक्षकों के रिक्त पदों, भर्ती प्रक्रिया, लिपिकीय स्टाफ की स्थिति, संविदा कर्मचारियों के भविष्य और भवन विहीन स्कूलों को लेकर विधायकों ने सवाल उठाए।
प्रश्नकाल के दौरान वंदे मातरम् गायन को लेकर हुए हंगामे के कारण स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव किसी भी प्रश्न का मौखिक उत्तर नहीं दे सके, लेकिन सभी सवालों के लिखित जवाब सदन के पटल पर रखे गए। लिखित जवाबों में सामने आए आंकड़ों ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की जमीनी तस्वीर को एक बार फिर उजागर कर दिया।
हजारों स्कूल अब भी अपने भवन से वंचित
विधायक सुनील सोनी के प्रश्न के उत्तर में स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में कुल 17,925 स्कूल, आंगनबाड़ी भवन और शासकीय कार्यालय ऐसे हैं, जिनके पास स्वयं का भवन नहीं है। इनमें से 9,321 स्कूल किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जहां स्वयं का भवन उपलब्ध नहीं है, वहां वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अन्य संस्थानों या निजी भवनों में स्कूलों का संचालन (School Building Shortage) किया जा रहा है। हालांकि, इस व्यवस्था की गुणवत्ता और दीर्घकालिक समाधान को लेकर सदन में असंतोष के संकेत भी दिखाई दिए।
क्लर्क और डाटा एंट्री ऑपरेटर के हजारों पद स्वीकृत
विधायक इंद्रशाह मंडावी के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने विभागीय अमले की स्थिति से जुड़े आंकड़े पेश किए। उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत—
सहायक ग्रेड-2 के 3,842 पद,
सहायक ग्रेड-3 के 6,713 पद,
डाटा एंट्री ऑपरेटर के 543 पद स्वीकृत हैं।
इन स्वीकृत पदों के विरुद्ध वर्तमान में 131 कर्मचारी संविदा (School Building Shortage) पर कार्यरत हैं, जो वर्ष 1995 से 2021 के बीच अलग-अलग अवधि से सेवाएं दे रहे हैं।
संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर साफ जवाब
संविदा कर्मचारियों के भविष्य को लेकर पूछे गए प्रश्न पर मंत्री ने स्पष्ट किया कि फिलहाल उनके नियमितीकरण की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है। यह जवाब उन कर्मचारियों के लिए निराशाजनक माना जा रहा है, जो वर्षों से विभाग में सेवाएं दे रहे हैं और स्थायी नियुक्ति की उम्मीद लगाए बैठे हैं।


