Bangladesh Hindu Lynching: बांग्लादेश में एक हिंदू युवक की मौत को लेकर भारतीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे केवल निंदा तक सीमित न रखने की बात कही। उन्होंने सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया कि दोषियों के खिलाफ अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं और न्याय की प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ रही है।
घटना मैमनसिंह क्षेत्र से जुड़ी बताई जा रही है, जहां 25 वर्षीय दीपू चंद्र दास को भीड़ हिंसा का शिकार होना पड़ा। शुरुआती जानकारियों के मुताबिक युवक एक औद्योगिक इकाई में काम करता था और उस पर अचानक ईशनिंदा का आरोप लगाया गया। देखते ही देखते माहौल तनावपूर्ण हो गया और उग्र भीड़ ने उस पर हमला कर दिया, जिससे उसकी जान चली गई।
इस पूरे मामले ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। शशि थरूर ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून का राज सर्वोपरि होना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा का भरोसा दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है, न कि केवल औपचारिक बयान जारी करना।
Bangladesh Hindu Lynching: घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने दावा किया कि ईशनिंदा का आरोप निराधार था और एक मामूली व्यक्तिगत विवाद से यह स्थिति बनी। उनके अनुसार, बिना जांच-पड़ताल के भीड़ का हिंसक रूप लेना यह दर्शाता है कि (Mob Violence Accountability) जैसे मुद्दों पर अब भी सख्त व्यवस्था की जरूरत है।
भारत में इस घटना को लेकर अलग-अलग राजनीतिक वर्गों से आवाजें उठीं। कई नेताओं ने इसे मानवाधिकारों से जुड़ा गंभीर मामला बताया और बांग्लादेश सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की। शशि थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में ठोस कार्रवाई ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकती है
फिलहाल यह मामला केवल एक देश तक सीमित नहीं रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नजरें इस पर टिकी हैं कि बांग्लादेश प्रशासन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर क्या कदम उठाता है। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि सामाजिक सौहार्द और न्याय व्यवस्था की मजबूती समय की सबसे बड़ी जरूरत है।


