सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। बहराइच हिंसा में रामगोपाल मिश्रा के मर्डर पर फैल रही अफवाह को लेकर पुलिस ने अपील जारी की है। पुलिस का कहना है कि युवक की मौत गोली लगने से हुई है। एएसपी ने लोगों से गलत और भ्रामक खबरों से बचने को कहा। बहराइच के हिंसाग्रस्त इलाकों में फिलहाल शांति बनी हुई है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के बहराइच में दो गुटों के बीच हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो गई थी। युवक की मौत को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलाई गईं। मृतक युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भी भ्रामक जानकारियां दी गईं। पुलिस ने इन सभी को झूठा बताते हुए अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉक्टर पवित्र मोहन त्रिपाठी ने अपील की है कि भ्रामक सूचना न फैलाएं। बहराइच पुलिस ने अपील करते हुए कहा है कि कस्बा महाराजगंज थाना हरदी जिला बहराइच में एक हिंदू व्यक्ति की हत्या के संबंध में सोशल मीडिया में साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के उद्देश्य से भ्रामक सूचना जैसे मृतक को करंट लगाना, तलवार से मारना एवं नाखून उखाड़ना आदि बातें फैलाई जा रही हैं, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है।
पुलिस के अनुसार पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण गोली लगने से होना पाया गया है। इस घटना में एक व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य किसी की मृत्यु नहीं हुई है इसलिए सभी से अनुरोध है कि साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए अफवाहों पर ध्यान न दें व भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित न करें। जिला प्रशासन द्वारा हिंसा वाले दिन से बहराइच में बंद इंटरनेट को बुधवार रात से बहाल कर दिया गया है। पुलिस ने एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया है। अब तक 10 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें एक मुकदमा मृतक रामगोपाल के परिजनों की ओर से दर्ज कराया गया है। तीन मुकदमे दूसरे गुट ने आगजनी, तोड़फोड़ और मारपीट को लेकर दर्ज कराए हैं। अब तक 54 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
आपको बता दें कि रविवार को बहराइच से 30 किलोमीटर दूर महसी तहसील के महाराजगंज कस्बा में दुर्गा विसर्जन यात्रा में डीजे पर बज रहे कथित गाने को लेकर दो गुट आपस में भिड़ गए। हिंसा में युवक रामगोपाल मिश्रा की मौत हो गई। उसका एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वह एक छत से दूसरे धर्म का झंडा नोंचते दिख रहा है। हिंसा कर रहे लोगों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। सोमवार को रामगोपाल के अंतिम संस्कार में हजारों की भीड़ जुट गई। इनके हाथों में लाठी डंडे थे। भीड़ ने दूसरे समुदाय के दुकान-मकान और गाड़ियों को निशाना बनाते हुए तोड़फोड़ और आगजनी की। भीड़ ने गांवों में भी घरों को निशाना बनाया गया था। हालात को काबू करने के लिए एडीजी और एसटीएफ चीफ अमिताभ यश मैदान में उतरे थे।