सीजी भास्कर, 22 अक्टूबर। वन विभाग से रिटायर्ड रेंजर हरिवल्लभ चतुर्वेदी ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य शासन के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें रायर्मेंट के बाद गड़़बड़ी के आरोप में जुर्माना लगाया गया था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने संवैधानिक पहलुओं का हवाला देते हुए शासन के आदेश को रद्द कर दिया है।
मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि विभागीय अफसरों ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना अधिरोपित करते समय मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के तहत उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी लिखा है कि सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद केवल राज्यपाल ही विभागीय जांच के आधार पर ऐसे दंडात्मक आदेश जारी कर सकते हैं।
कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी
हाई कोर्ट ने संवैधानिक बाध्यताओं और प्रावधानों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि नियम 1976 के नियम 9 (2) (ए) के अनुसार सेवानिवृत्ति से पहले विभागीय जांच शुरू की गई। इसलिए रिटायरमेंट के बाद भी इसे जारी रखा जा सकता है। दंड देने का अधिकारी विभागीय अधिकारी के पास नहीं । दंड का आदेश राज्यपाल द्वारा पारित किया जाना है, जो राज्य में सर्वोच्च अधिकारी हैं। इस अनिवार्य प्रक्रिया का पालन न करने पर अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश निष्फल हो जाता है ।