सीजी भास्कर 31 जुलाई
रामबन, जम्मू-कश्मीर:
भारत ने पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका देते हुए चार दशकों से अटके पड़े सावलकोट हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने का फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चिनाब नदी पर बनने वाला यह 1856 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट अब तेजी से आगे बढ़ेगा। भारत सरकार ने इसके लिए इंटरनेशनल टेंडर जारी कर दिए हैं और बिड जमा करने की अंतिम तिथि 10 सितंबर 2025 तय की गई है।
क्या है सावलकोट पावर प्रोजेक्ट?
चिनाब नदी पर बनने वाला सावलकोट प्रोजेक्ट भारत की जल-नीति और ऊर्जा सुरक्षा का एक बड़ा हिस्सा है। पर्यावरणीय स्वीकृति, तकनीकी जटिलताएं और सबसे बड़ी बाधा – पाकिस्तान की आपत्तियों के कारण यह प्रोजेक्ट लगभग 40 सालों तक फाइलों में दबा रहा। अब केंद्र सरकार ने इससे जुड़ी अड़चनों को किनारे कर इस प्रोजेक्ट को रफ्तार देने का निर्णय लिया है।
सिंधु जल संधि सस्पेंड, अब पाकिस्तान की ‘प्यास’ बढ़ेगी!
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने साफ कहा था – “पानी और खून साथ नहीं बह सकते।” इसके बाद भारत ने सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से सस्पेंड कर दिया। इसी कड़ी में अब सावलकोट जैसे प्रोजेक्ट्स को फिर से चालू कर पाकिस्तान पर जल-सामरिक दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जा रही है।
पाकिस्तान को क्यों लगेगा झटका?
सिंधु नदी की सहायक नदियां – रावी, ब्यास, सतलुज (पूर्वी नदियां) और झेलम, चिनाब, सिंधु (पश्चिमी नदियां) – भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए अहम हैं। लेकिन 1960 की संधि के तहत पश्चिमी नदियों का पानी पाकिस्तान को मिलता रहा है। अब भारत इन नदियों पर जल-भंडारण और पावर प्रोजेक्ट्स बनाकर पानी के अपने हिस्से का पूरा इस्तेमाल करना चाहता है। विशेषज्ञों की मानें तो सावलकोट प्रोजेक्ट पाकिस्तान की पानी पर निर्भरता को सीधा प्रभावित करेगा।
2025 में क्यों हो रहा है ये फैसला?
• आतंकवाद को जवाब देने के लिए पानी एक अहम रणनीतिक हथियार बन चुका है।
• ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए स्वदेशी पावर प्रोजेक्ट्स ज़रूरी हो गए हैं।
• अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की लगातार दुश्मनी और भारत विरोधी नीति को कड़ा जवाब देना जरूरी है।