सीजी भास्कर, 9 अक्टूबर। बस्तर अंचल के लिए यह खबर बेहद राहत भरी है। छत्तीसगढ़ शासन ने नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी (Abujhmad National Highway 130D Project) के निर्माण को मंजूरी दे दी है। कुतुल से नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक 21.5 किलोमीटर लंबे हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
लोक निर्माण विभाग मंत्रालय ने प्रमुख अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र रायपुर को न्यूनतम टेंडर दर देने वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया शर्तों सहित पूर्ण करने के निर्देश जारी किए हैं। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 152 करोड़ रुपये तय की गई है। सड़क तीन खंडों में बनेगी और इसे टू-लेन पेव्ड शोल्डर के रूप में तैयार किया जाएगा।
यह उल्लेखनीय है कि कुतुल, नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित है और कुतुल से महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नीलांगुर की दूरी 21.5 किलोमीटर है। यह हिस्सा नेशनल हाईवे 130-डी (Abujhmad National Highway 130D Project) का प्रमुख खंड है। इसके पूरा होने पर अबूझमाड़ और बस्तर के दूरस्थ इलाकों का सीधा संपर्क महाराष्ट्र से स्थापित हो जाएगा।
एनएच-130डी की कुल लंबाई लगभग 195 किलोमीटर है, जो एनएच-30 (Abujhmad National Highway 130D Project) का शाखा मार्ग (स्पर रूट) है। यह कोण्डागांव से शुरू होकर नारायणपुर, कुतुल होते हुए नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक जाता है। आगे महाराष्ट्र में यह बिंगुंडा, लहरे, धोदराज, भमरगढ़, हेमा और लकासा से होते हुए आलापल्ली तक पहुंचता है, जहाँ यह एनएच-353डी से जुड़ जाता है। इस मार्ग के विकसित होने से बस्तर अंचल सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जुड़ जाएगा और व्यापार, पर्यटन एवं सुरक्षा के क्षेत्र में नई मजबूती मिलेगी ।
वर्तमान में कोण्डागांव से नारायणपुर तक का 50 किलोमीटर हिस्सा निर्माणाधीन है, जबकि नारायणपुर से कुतुल की दूरी 50 किमी और वहाँ से महाराष्ट्र सीमा नीलांगुर तक 21.5 किमी है। कुल मिलाकर इस राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 195 किमी है, जिसमें से 122 किमी का हिस्सा छत्तीसगढ़ राज्य में आता है। इस सड़क के बन जाने से बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से सीधा और सुरक्षित सड़क संपर्क मिलेगा, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में यातायात और विकास दोनों को गति मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग से इस नेशनल हाईवे के अबूझमाड़ इलाके में स्थित हिस्से के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस और निर्माण की अनुमति मिल चुकी है। राज्य शासन ने इस परियोजना को तेजी देने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मार्ग केवल सड़क नहीं बल्कि बस्तर अंचल की प्रगति की जीवनरेखा है। इस हाईवे के निर्माण से बस्तर के सामाजिक और आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना अबूझमाड़ जैसे दुर्गम इलाकों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि इसके पूरा होने से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासनिक पहुंच, व्यापार और पर्यटन सभी क्षेत्रों में सुधार होगा।