सीजी भास्कर, 7 नवंबर। छत्तीसगढ़ के ऊर्जा क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाते हुए अदाणी पावर लिमिटेड (Adani Power Korba) ने कोरबा के तीन प्रमुख कोल ब्लाक — तौलीपाली, बताती और कोलगा वेस्ट के लिए बोली लगाई है। कमर्शियल कोल माइनिंग के तहत कोरबा के कुल पांच ब्लाकों में से इन तीनों पर अदाणी समेत तीन कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
अदाणी पावर का 600 मेगावाट का संयंत्र (Adani Power Korba) वर्तमान में पताढ़ी में संचालित है, और अगले पांच वर्षों में इसे चार चरणों में 3,240 मेगावाट तक विस्तार देने की योजना है।
इस विस्तार के साथ कंपनी को प्रतिदिन लगभग 55,000 टन कोयले की आवश्यकता होगी। संयंत्र से मात्र 32 किलोमीटर के दायरे में ये तीनों कोल ब्लाक स्थित हैं, जिससे अदाणी को कोयले की सुगम आपूर्ति का लाभ मिल सकता है।
14वीं कोल माइनिंग नीलामी में शामिल हैं ये ब्लाक
कर्ज से लदी लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड का अधिग्रहण करने के बाद अदाणी समूह ने पताढ़ी प्लांट के अधूरे हिस्सों का निर्माण युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है। अप्रैल 2026 तक संयंत्र के लाइटअप की तैयारी है। फिलहाल कंपनी को एसईसीएल (SECL) से गेवरा और दीपका खदानों के माध्यम से कोयला आपूर्ति की जा रही है। आगामी चरणों के लिए घरेलू स्रोतों से कोयला प्राप्त करने की दिशा में कंपनी ने तौलिपाली, बताती और कोलगा वेस्ट ब्लाकों (Adani Power Korba) पर फोकस किया है। कोयला मंत्रालय की 14वीं कमर्शियल नीलामी में छत्तीसगढ़ के 15 ब्लाकों में से 5 ब्लाक अकेले कोरबा जिले में हैं।
पर्यावरणीय मंजूरी और विरोध बने बड़ी चुनौती
सभी प्रस्तावित ब्लाक बड़े झाड़ के जंगलों में स्थित हैं। कंपनियों को इन्हें विकसित करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन से मंजूरी लेनी होगी।
इसी क्षेत्र के मदनपुर साउथ वेस्ट ब्लाक (Adani Power Korba) के विरोध का अनुभव पहले से ही सामने आ चुका है। आदिवासी समुदाय भूमि अधिग्रहण और रोजगार को लेकर विरोध जता चुका है, जिससे भविष्य में परियोजनाओं को लेकर चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
नौकरी के वादे अब तक अधूरे
वर्ष 2004 में पताढ़ी क्षेत्र के ग्रामीणों से उनकी जमीन लैंको अमरकंटक पावर के लिए ली गई थी। उस समय स्थायी नौकरी और उचित मुआवजे का वादा किया गया था। बाद में आर्थिक संकट के चलते लैंको की परियोजना रुक गई और 2024 में इसे अदाणी समूह (Adani Power Korba) ने अधिग्रहित कर लिया। लेकिन अब तक प्रभावित ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिला है, जिससे उनमें गहरी नाराजगी है।
भविष्य में कंपनी को नई दो इकाइयाँ (पांचवीं और छठी) स्थापित करनी हैं, जिसके लिए अतिरिक्त भूमि चाहिए। लेकिन स्थानीय लोग स्पष्ट कह चुके हैं कि पहले प्रभावितों को नौकरी दी जाए, उसके बाद ही आगे की बात होगी। ग्रामीणों के विरोध से विस्तार परियोजना के प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है।
