टीकमगढ़ , 18 मार्च 2025 :
‘रात करीब 11 बजे दादा के भाई, उनके बेटे और महिलाएं लाठी-डंडे, हथियार लेकर घर आए। पिता को खींचकर सड़क पर ले आए। इसके बाद उन पर टूट पड़े। मां बचाने आई तो उन्हें भी पीटा। डर के मारे मैं पहाड़ पर चढ़ गया, नहीं तो मुझे भी मार डालते। माता-पिता ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। रातभर लाशें सड़क पर पड़ी रहीं।’
यह बताते हुए 17 साल का लालाराम फफक पड़ता है। 15 मार्च की रात उसके पिता रामकिशन अहिरवार और मां रामबाई की रिश्तेदारों ने ही पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। दोनों बहनें रातभर माता-पिता के शव के पास और लालाराम पहाड़ पर बैठा रहा।
सुबह सरपंच की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। तीनाें भाई-बहन इतना घबराए हुए हैं कि मंजर याद कर डर जाते हैं। वारदात टीकमगढ़ में पलेरा थाना क्षेत्र के कलोरा गांव की है। सोमवार को दोनों शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
पूरी घटना को समझने दैनिक भास्कर की टीम कलोरा गांव पहुंची। लालाराम से बात कर जाना कि वारदात के पीछे क्या विवाद था।
कुत्ते के भौंकने पर पिता से किया झगड़ा
कलोरा गांव के बाहर रामकिशन अहिरवार अपनी पत्नी रामबाई, इकलौते बेटे लालाराम और दो बेटियों के साथ रहते थे। रामकिशन घर के पास गुमटी रखकर किराना दुकान चलाते थे। इसके अलावा वे खेती भी करते थे। गांव में करीब 500 मीटर दूर रिश्ते में रामकिशन के चाचा नंदराम अहिरवार भी परिवार के साथ रहते हैं।
लालाराम ने बताया, ‘15 मार्च को करीब 9 बजे पिता के चाचा नंदराम और बाबूलाल अहिरवार खाना लेकर खेत पर जा रहे थे। रास्ता हमारे घर के सामने से ही गुजरता है। बाहर बरामदे में पिताजी रामकिशन खटिया पर लेटे थे। मैं, मां रामबाई, बहन रोशनी और रामसखी अंदर थे। इसी दौरान हमारा पालतू कुत्ता नंदराम को देखकर भौंकने लगा।
कुत्ते की तरफ देखकर नंदराम बोला- तुझे और तेरे मालिक दोनों को मारेंगे। यह सुनकर पिताजी ने कह दिया कि जानवरों से क्यों बोलते हो, हमसे बोलो। इसी बात पर दोनों में कहासुनी हो गई।
लोगों के समझाने पर नंदराम और बाबूलाल वहां से चले गए। इसके बाद हम घर के अंदर सोने चले आए। पिताजी बाहर ही सोते रहे।
पुलिस नहीं पहुंची, पूरी रात पहाड़ पर बिताई
लालाराम ने कहा- रात करीब 11 बजे नंदराम, उनके बेटों के साथ 9 लोग इकट्ठा होकर आ गए। इनमें चार महिलाएं और पांच पुरुष थे। सभी के हाथ में लाठी-डंडे, पत्थर और लोहे की राॅड थीं। वे हमारे घर के अंदर घुस आए। गाली-गलौज करते हुए पिताजी पर टूट पड़े। उन्हें पीटते हुए 500 मीटर घसीटकर सड़क तक ले गए। यहीं आरोपियों का भी घर है।
शोर सुनकर हम बाहर आए। मां ने देखा तो वह पिताजी को बचाने दौड़ीं। पिता से लिपट गईं। वह छोड़ने की गुहार लगाती रहीं लेकिन उन्हें रहम नहीं आया। उन्होंने बेदम होने तक दोनों को पीटा। बचाने गई बहन रोशन और रामसखी को भी पीटने लगे। दो लोग मुझे भी मारने दौड़े। बचने के लिए मैं पहाड़ पर चढ़ गया, जिससे मेरी जान बच गई।
किसी ने भी बीच-बचाव या मदद नहीं की। इसके पहले भी वे लोग माता-पिता के साथ कई बार मारपीट कर चुके थे।
सरपंच ने बताया- माता, पिता की हत्या कर दी
लालाराम ने बताया, ‘जान बचाने के लिए मैं पहाड़ पर जाकर छिप गया। रात करीब 11:30 बजे डायल 100 को कॉल किया। काफी देर तक इंतजार किया लेकिन पुलिस नहीं पहुंची। डर के कारण नीचे उतरने की हिम्मत नहीं हुई।
पूरी रात वहीं बैठा रहा। रातभर सड़क पर माता-पिता लावारिस हालत में पड़े रहे। दोनाें बहनें डरी-सहमी रहीं। सुबह करीब 5:30 बजे सरपंच लोकेंद्र मिश्रा मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि तुम्हारे माता-पिता की मौत हो गई है। उन्होंने पुलिस को फोन किया। करीब आधे घंटे बाद पुलिस आई।’
65 बीघा जमीन का मामला कोर्ट में
लालाराम ने बताया, ‘हमारे दादा मानसिक विक्षिप्त थे। उनकी 65 बीघा जमीन है। दादा के दूर के रिश्ते के भाई नंदराम ने करीब 10 साल पहले उनसे हस्ताक्षर करवाकर आधी जमीन अपने नाम करवा ली। वे न तो कब्जा छोड़ रहे हैं और न हमें खेती करने दे रहे हैं। इसी बात को लेकर विवाद चल रहा था।
पिताजी ने केस भी किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब कब्जे के लिए जबलपुर हाईकोर्ट में मुकदमा चल रहा है।