सीजी भास्कर, 3 जुलाई |
देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है।
डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए एनपीके (20ः20ः013) और एनपीके (12ः32ः13) का वितरण किया जाएगा।
सरकार ने लक्ष्य में 3.10 लाख मीट्रिक टन, एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण और वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है।
एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में कई प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मीट्रिक टन से 17.18 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव के बाद फैसला
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में रासायनिक उर्वरक की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है।
बढ़ाया गया रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा
बता दें कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मीट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मीट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मीट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मीट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मीट्रिक टन शामिल था।
डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मीट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मीट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मीट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मीट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।
यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मीट्रिक टन हो गई है।
फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है।
डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है।
क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मिलेगी मदद
एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मीट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है।
राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मीट्रिक टन खाद वितरण के लिए उपलब्ध है।