सीजी भास्कर, 19 दिसंबर। कांकेर आमाबेड़ा क्षेत्र में ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई झड़प (Amabeda Clash Kanker) के बाद जिले में प्रशासन पूरी तरह सतर्क नजर आ रहा है। घटना के बाद उत्पन्न तनावपूर्ण हालात के बीच कांकेर कलेक्टर नीलेश महादेव क्षीरसागर जिला अस्पताल पहुंचे और झड़प में घायल ग्रामीणों का हालचाल जाना। कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों से उपचार की विस्तृत जानकारी लेते हुए निर्देश दिए कि सभी घायलों को प्राथमिकता के आधार पर बेहतर और समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
जिला अस्पताल में मौजूद अधिकारियों को कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए कि घायलों की स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जाए और किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। उन्होंने कहा कि ग्रामीण–पुलिस झड़प (Amabeda Clash Kanker) जैसी घटनाएं सामाजिक संतुलन को बिगाड़ती हैं, इसलिए शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस दौरान उन्होंने घायलों और उनके परिजनों से बातचीत कर हालात की जानकारी भी ली।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, आमाबेड़ा क्षेत्र में ग्रामीणों और पुलिस आमना–सामना (Amabeda Clash Kanker) होने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। जिला प्रशासन लगातार घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है और किसी भी प्रकार की अफवाह या तनाव फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्ती से कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कठोर कदम उठाए जाएंगे।
एक ग्रामीण की मौत
इसी बीच जिले के नरहरपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत रिसेवाड़ा में एक संवेदनशील सामाजिक मामला भी सामने आया। ग्राम रिसेवाड़ा निवासी पूनाराम जुर्री (उम्र 80 वर्ष) का बीमारी के चलते निधन हो गया। वे लगभग तीन वर्षों से ईसाई धर्म से जुड़े थे। मामले की सूचना मिलते ही तहसीलदार और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे, ताकि किसी प्रकार का विवाद न उत्पन्न हो। ग्रामीणों की सहमति से बुजुर्ग का अंतिम संस्कार हिंदू सामाजिक रीति–रिवाज के अनुसार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया गया।
इस दौरान सरपंच हिरालाल कुंजाम, उपसरपंच ईश्वर दुग्गा, ग्राम प्रमुख दीनू जुर्री, खम्मन मंडावी, ईश्वर मंडावी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। प्रशासन की सक्रियता से गांव में सौहार्द और शांति बनी रही। जिला प्रशासन ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि चाहे आमाबेड़ा जैसी झड़प (Amabeda Clash Kanker) हो या सामाजिक संवेदनशील मामला, हर स्थिति में शांति, संवाद और कानून के दायरे में समाधान ही प्राथमिकता रहेगी।


