सीजी भास्कर, 31 जुलाई |
बिलासपुर (छत्तीसगढ़):
बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे एक बार फिर भीषण सड़क हादसे का गवाह बना है। रविवार रात (30 जुलाई) को लिमतरा गांव के पास तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने सड़क पर बैठीं 16 से अधिक गायों को कुचल डाला। इस हादसे में 15 गायों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक मवेशी गंभीर रूप से घायल है।
सुबह बिखरे पड़े मिले खून से लथपथ शव
सोमवार सुबह जब लोग सैर पर निकले, तो हाईवे पर चारों तरफ खून से सने गौवंशों के शव पड़े हुए थे। इस भयावह मंजर को देखकर ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस और गौसेवकों को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस और वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू शुरू किया और मृत पशुओं को हटाया।
20 दिन में तीसरा बड़ा हादसा, मर चुके हैं 50+ मवेशी
- 14 जुलाई: मस्तूरी-चकरभाठा क्षेत्र में 22 मवेशियों को रौंदा गया था, जिसमें 17 की मौत हुई थी।
- 27 जुलाई: एनएच 49 लावर मोड़ के पास 23 मवेशियों को कुचला गया, 18 की जान गई।
- अब 30 जुलाई: लिमतरा हाईवे पर 15 गायों की मौत।
इन तीन घटनाओं में अब तक 50 से अधिक मवेशियों की जान जा चुकी है, और कई गंभीर रूप से घायल हैं।
हाईकोर्ट के आदेश बेअसर, प्रशासन नाकाम
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पहले ही सड़कों पर मवेशियों की बढ़ती संख्या और हादसों पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार और एनएचएआई को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे। मार्च 2024 की सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इसे राज्यव्यापी गंभीर समस्या बताते हुए तत्काल समाधान के लिए संयुक्त प्रयास की बात कही थी।
लेकिन बावजूद इसके, बिलासपुर के तखतपुर, मुंगेली, मस्तूरी, कोटा और चकरभाठा क्षेत्रों में शाम ढलते ही सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा आम दृश्य बन चुका है।
FIR और जुर्माना का प्रावधान – फिर भी लापरवाही!
बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल के अनुसार, जिले में धारा 163 प्रभावशील है। इसके तहत मवेशियों को खुला छोड़ने वाले गौपालकों पर FIR और जुर्माना का प्रावधान है। प्रशासन ने कई बार मीटिंग लेकर अफसरों को निर्देश भी दिए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अमल नहीं हो पा रहा।
गौ सेवकों का फूटा गुस्सा, सख्त कार्रवाई की मांग
लगातार हो रही इन घटनाओं से गौ सेवकों और ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई नहीं करता और सड़कों पर पशुओं की निगरानी नहीं होती, हादसे नहीं रुकेंगे।