सीजी भास्कर 22 अगस्त।
रायपुर
छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर की चर्चित अरपा भैंसाझार परियोजना घोटाले में बड़ा कदम उठाते हुए रायपुर कलेक्टोरेट में पदस्थ अपर कलेक्टर कीर्तिमान सिंह राठौर के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी है। यह जांच राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा की जाएगी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत होगी जांच
सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय महानदी भवन अटलनगर की ओर से जारी आदेश के अनुसार, प्रारंभिक जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। इसके बाद शासन ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17(क) के तहत विस्तृत जांच की अनुमति प्रदान की।
हालांकि, EOW अधिकारियों ने कहा कि आदेश की आधिकारिक कॉपी अभी तक उन्हें प्राप्त नहीं हुई है।
क्या है पूरा मामला?
बिलासपुर जिले की अरपा भैंसाझार परियोजना में भूमि अधिग्रहण और मुआवज़ा वितरण के दौरान भारी गड़बड़ी सामने आई थी।
- एक ही भूमि सर्वेक्षण नंबर के अलग-अलग रकबे दिखाकर लगभग 3.42 करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया।
- उस समय कोटा के एसडीएम आनंद रूप तिवारी और राजस्व अधिकारी कीर्तिमान सिंह राठौर समेत कई अधिकारी जिम्मेदार पाए गए थे।
- जांच रिपोर्ट के बावजूद वर्षों तक किसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
पहले ही हो चुकी है कार्रवाई
दोबारा जांच के बाद राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा, शासन को अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।
इन अधिकारियों पर लगा आरोप
इस घोटाले में कई अफसरों और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया गया था, जिनमें शामिल हैं:
- तत्कालीन कोटा एसडीएम आनंद रूप तिवारी
- अपर कलेक्टर (तत्कालीन राजस्व अधिकारी) कीर्तिमान सिंह राठौर
- नायब तहसीलदार मोहर साय सिदार
- राजस्व निरीक्षक राहुल सिंह
- पटवारी दिलशाद अहमद
- आरआई मुकेश साहू
- जल संसाधन विभाग के अभियंता आर.एस. नायडू, अशोक तिवारी
- एसडीओ तखतपुर राजेंद्र प्रसाद मिश्रा
- सब-इंजीनियर आर.के. राजपूत
सरकार का सख्त संदेश
राज्य सरकार का यह फैसला साफ संकेत देता है कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी बख्शा नहीं जाएगा। अब EOW की विस्तृत जांच के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।