सीजी भास्कर 23 जुलाई
भिंड | मध्यप्रदेश: महिला कांस्टेबल से अश्लील हरकत करने के मामले में दोषी पाए गए पुलिस विभाग के सहायक उपनिरीक्षक (ASI) मुन्नालाल तिवारी को अब हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सज़ा को सही ठहराते हुए उनकी आपराधिक अपील को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
यह शर्मनाक घटना 17 जनवरी 2013 को भिंड जिले के पुलिस कंट्रोल रूम की है। ड्यूटी पर तैनात एक महिला कांस्टेबल ने आरोप लगाया कि ASI मुन्नालाल तिवारी ने डेली स्टेटस रिपोर्ट की जांच के दौरान उसके साथ जबरन अश्लील हरकत की। महिला कांस्टेबल ने बयान में कहा कि जब उसने विरोध किया तो आरोपी ने उसका मुंह दबाने की कोशिश की, लेकिन उसने हिम्मत दिखाते हुए शोर मचाया, जिससे अन्य पुलिसकर्मी मौके पर पहुंच गए और मामला वहीं उजागर हो गया।
पीड़िता ने यह भी बताया कि घटना से पहले भी ASI लगातार फोन पर उसे अश्लील बातें करता था और मिलने के लिए दबाव बनाता था।
इलेक्ट्रॉनिक सबूत बने बड़ा आधार
घटना के बाद पीड़िता ने तत्काल लिखित शिकायत दी, जिसके आधार पर जांच शुरू हुई। जांच में आरोपी के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड, ऑडियो सीडी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए गए, जो उसके खिलाफ मजबूत सबूत बने।
21 जनवरी 2014 को भिंड में SC/ST विशेष अदालत ने मुन्नालाल तिवारी को दोषी करार देते हुए सज़ा सुनाई थी। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की थी।
हाईकोर्ट ने कहा – “सज़ा पूरी तरह उचित”
मंगलवार को सुनाए गए फैसले में ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच ने साफ कहा कि निचली अदालत द्वारा सभी सबूतों की निष्पक्ष जांच की गई थी। कोर्ट ने कहा कि तिवारी पर लगे आरोपों की पुष्टि ठोस साक्ष्यों के आधार पर हुई है और जो सज़ा दी गई है, वह पूरी तरह न्यायसंगत है। लिहाजा कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए सजा को बरकरार रखा।
क्या कहता है यह मामला?
एक ओर जहां पुलिस का काम जनता की सुरक्षा और विश्वास बनाए रखना होता है, वहीं ऐसे मामलों से विभाग की छवि पर बुरा असर पड़ता है। खासकर जब एक महिला पुलिसकर्मी को अपने ही साथी से सुरक्षा की ज़रूरत पड़े, तो यह पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।