बिहार के बांका जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहां एक सरकारी स्कूल के चार छात्रों ने साइबर ठगी का मास्टरप्लान बना डाला। इन छात्रों ने अपने ही स्कूल के हेडमास्टर का मोबाइल हैक कर उनके ई-शिक्षा कोष से सरकारी फंड ट्रांसफर करने की कोशिश की। सौभाग्य से, समय रहते मामला पकड़ में आ गया और पूरा पैसा सुरक्षित बचा लिया गया।
कैसे रची गई हैकिंग की साजिश?
मामला अमरपुर थाना क्षेत्र के मध्य विद्यालय, लौसा का है। स्कूल के हेडमास्टर संजीव कुमार तिवारी को नालंदा जिले से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) बताया और एक जरूरी तकनीकी अपडेट के बहाने ओटीपी (OTP) की मांग की। हेडमास्टर ने बिना शक किए ओटीपी साझा कर दिया, जिससे उनके फोन और ई-शिक्षा खाते का एक्सेस सीधे साइबर ठगों के पास चला गया।
चालाकी से हुआ खुलासा
कुछ देर बाद प्रिंसिपल को मोबाइल में गड़बड़ महसूस हुई। उन्होंने तुरंत असली DEO से संपर्क किया और पता चला कि ऐसा कोई कॉल DEO कार्यालय की ओर से नहीं किया गया था। इसी सूचना के आधार पर उन्होंने बैंकिंग गतिविधियों पर तुरंत रोक लगवाई और साइबर पुलिस को सूचित किया।
पुलिस ने नाबालिगों को पकड़ा
साइबर थाने की जांच में चौकाने वाली सच्चाई सामने आई— यह ठगी बाहर के किसी गिरोह का नहीं बल्कि स्कूल के ही चार छात्रों की योजना थी। पुलिस ने नालंदा जिले से इन चारों नाबालिगों को गिरफ्तार कर लिया। सभी आरोपी 10वीं कक्षा के छात्र हैं और किसी बड़े साइबर गिरोह के संपर्क में थे।
पुलिस कर रही गहन जांच
बांका एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा ने बताया कि इस मामले में नाबालिग छात्रों को बहला-फुसलाकर एक बड़ा गिरोह अपराध की ओर धकेल रहा है। फिलहाल चारों बच्चों से पूछताछ की जा रही है ताकि इस गिरोह की जड़ तक पहुंचा जा सके। डीएसपी अनुपेश नारायण ने बताया कि साइबर अपराधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है और वैज्ञानिक तरीके से जांच कर उन्हें बेनकाब किया जा रहा है।