सीजी भास्कर, 5 अप्रैल |
वक्फ बोर्ड संशोधन को लेकर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, संशोधन में कुछ भी ठोस नहीं है, सिर्फ गोल-गोल बातें की गई हैं।
इसके जरिए सरकार वक्फ बोर्ड की ज़मीनों को चिन्हित कर अपने उद्योगपतियों को देना चाहती है। यह संशोधन अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% टैरिफ से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है, जिसका कांग्रेस पार्टी और विपक्ष लगातार विरोध कर रहे हैं।
सलीम राज को अपनी कम्युनिटी की चिंता नहीं
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सलीम राज के बयानों पर पलटवार करते हुए बैज ने कहा, “छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष खुद भाजपा के नेता हैं। उन्हें अपनी कम्युनिटी की चिंता नहीं है, सिर्फ अपनी पार्टी और सरकार की चिंता है।
अगर 90% कम्युनिटी एक तरफ है, तो वह पहले कम्युनिटी का हिस्सा हैं, भाजपा कार्यकर्ता बाद में। उन्हें अपनी कम्युनिटी के साथ खड़ा होना चाहिए, लेकिन अगर उन्हें चापलूसी करनी है तो फिर हमें कुछ नहीं कहना।
दरअसल, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने इस बिल को मुस्लिम समाज की तरक्की और खुशहाली का बिल बताया था। साथ ही, उन्होंने सनातन बोर्ड बनाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की बात कही थी।
सरकार बना रही आदिवासी संस्कृति का मजाक’
बस्तर पंडुम को लेकर बैज ने कहा, “बस्तर पंडुम कोई एक दिन का त्योहार नहीं है, ये एक सालभर की परंपरा और विरासत है, जिसमें नियम होते हैं। महिलाएं इसमें शामिल नहीं होतीं, क्योंकि यह सदियों पुरानी परंपरा है। लेकिन सरकार इसे राजनीतिक हथियार बनाकर आदिवासी संस्कृति का मजाक बना रही है। सरकारी तंत्र का दुरुपयोग हो रहा है और बस्तर की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि, “बस्तर पंडुम के नाम पर जमीन की तलाश हो रही है, ताकि अमित शाह के करीबी उद्योगपतियों को खनिज सौंपा जा सके। नक्सलवाद के नाम पर भी सरकार नई जमीन देख रही है। ये बीजेपी का आदिवासियों के त्योहारों का अपमान है।”
भारतमाला प्रोजेक्ट: CBI जांच से क्यों डर रही सरकार?
दीपक बैज ने कहा, “सरकार की मंशा पर हमें भरोसा नहीं है, हमें डाउट है। अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए सरकार जांच से भाग रही है। कांग्रेस पार्टी लगातार विधानसभा में इस मुद्दे को उठा रही है, क्योंकि इस घोटाले में बीजेपी के लोग ही शामिल हैं। अगर सरकार वाकई सुशासन चाहती है, तो दोनों घोटालों की जांच CBI से करवानी चाहिए।”
गुजरात अधिवेशन: नई ऊर्जा और संगठन को मजबूती
गुजरात में होने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन को लेकर भी पीसीसी चीफ ने बात की। उन्होंने कहा, “इस बार लगभग 40 से अधिक नेता अधिवेशन में शामिल होंगे। हमें यकीन है कि वहां से नई ऊर्जा मिलेगी और संगठन को मज़बूत करने के दिशा-निर्देश मिलेंगे, जिससे छत्तीसगढ़ में और मजबूती से काम करेंगे।”