नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक अहम मामले में सुनवाई करते हुए उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने साफ किया कि फिलहाल दोनों को जेल में ही रहना होगा।
यह फैसला न्यायमूर्ति नवीन चावला और शलिंदर कौर की पीठ ने सुनाया। गौरतलब है कि इससे पहले भी अदालत ने UAPA के एक अन्य मामले में आरोपी तस्लीम अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत की कार्यवाही
- 10 जुलाई को अदालत ने जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
- सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने जमानत का जोरदार विरोध किया।
- अभियोजन पक्ष की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह महज दंगों का मामला नहीं, बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की पूर्व-नियोजित साजिश थी।
- उन्होंने कहा कि “देश विरोधी गतिविधियों में शामिल कोई भी व्यक्ति बरी होने तक जेल में ही रहे, यही न्यायसंगत है।”
सह-अभियुक्तों की जमानत पर भी रोक
उमर खालिद और शरजील इमाम के अलावा अदालत ने मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा की जमानत अर्जी पर भी फैसला सुरक्षित रखा है।
क्या है मामला?
फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच दिल्ली में हिंसा भड़की थी।
- इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई और 700 से अधिक लोग घायल हुए।
- आरोप है कि उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य सह-अभियुक्त इस हिंसा के कथित मास्टरमाइंड थे।
- उनके खिलाफ यूएपीए (UAPA) और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं में केस दर्ज है।
- 2022 से ही इनकी जमानत याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं।