सीजी भास्कर30 जुलाई‘
झांसी, उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश के झांसी से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने प्राइवेट बैंकों की लोन वसूली प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक महिला को कथित रूप से सिर्फ इसलिए 5 घंटे तक बैंक में बंधक बनाकर रखा गया क्योंकि उसने लोन की कुछ किश्तें नहीं चुकाई थीं। पीड़िता का आरोप है कि बैंक कर्मचारियों ने तीन किश्तें हड़प लीं और अब शेष राशि के लिए इस अमानवीय हरकत पर उतर आए हैं।
क्या है पूरा मामला?
घटना झांसी के बम्हरौली गांव के आजाद नगर मोहल्ले की है। यहां बाबई रोड, पूंछ निवासी रविंद्र वर्मा की पत्नी पूजा वर्मा को सोमवार दोपहर 12 बजे एक प्राइवेट माइक्रो फाइनेंस बैंक के कर्मचारियों ने कथित रूप से जबरन बैंक में बैठा लिया। आरोप है कि पूजा को बिना किसी वैध प्रक्रिया के 5 घंटे तक बैंक में बंधक बनाकर रखा गया और उसके पति रविंद्र से कहा गया – “पैसा दो, तभी पत्नी को ले जा सकोगे।”
रविंद्र वर्मा ने कई बार बैंक कर्मचारियों से पत्नी को छोड़ने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, थक-हारकर उन्होंने डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस के मौके पर पहुंचते ही बैंक स्टाफ ने आनन-फानन में महिला को छोड़ा और मामले को दबाने की कोशिश की।
लोन, किश्तें और गंभीर आरोप
पूजा वर्मा ने मोंठ थाने में दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि उन्होंने 40,000 रुपये का लोन लिया था और अब तक 11 किश्तें चुका चुकी हैं। लेकिन बैंक के रिकॉर्ड में केवल 8 किश्तें दिख रही हैं। पूजा का आरोप है कि बैंक एजेंट कौशल और धर्मेंद्र ने उनकी तीन किश्तों की रकम हड़प ली और रिकॉर्ड में नहीं चढ़ाया।
इतना ही नहीं, महिला का कहना है कि बैंक का सीओ संजय यादव, जो मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ का रहने वाला है, सोमवार को उनके घर पहुंचा और धमकी भरे अंदाज़ में पैसा मांगने लगा। विरोध करने पर पति-पत्नी को जबरन बैंक लाया गया और घंटों तक हिरासत जैसी स्थिति में रखा गया।
बैंक का पक्ष
बैंक के मैनेजर अनुज कुमार (निवासी कानपुर देहात) ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने दावा किया कि महिला स्वेच्छा से बैंक आई थी और 7 महीने से किश्तें नहीं दे रही थी। हालांकि, इस पर पीड़ित पक्ष ने सबूतों के साथ अपना पक्ष मजबूत बताया है।
पुलिस जांच शुरू
पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। फिलहाल बैंक कर्मचारियों, एजेंट्स और पीड़ित दंपत्ति से पूछताछ की जा रही है। अगर महिला के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह बैंकिंग नियमों और मानवाधिकार दोनों का गंभीर उल्लंघन है।