नई दिल्ली, 23 जून। Basmati Rice Export Crisis : ईरान को भेजे जाने वाला लगभग 1,00,000 टन बासमती चावल भारतीय बंदरगाहों पर फंसा हुआ है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के प्रेसिडेंट सतीश गोयल ने कहा कि कुल बासमती चावल निर्यात में ईरान की हिस्सेदारी 18-20 प्रतिशत है।
गोयल ने बताया कि गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर रुके हुए हैं, क्योंकि पश्चिम एशिया में संघर्ष के चलते ईरान जाने वाले माल के लिए न तो जहाज उपलब्ध हैं और न ही बीमा। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संघर्ष आमतौर पर मानक शिपिंग बीमा पालिसियों के तहत कवर नहीं होते (Basmati Rice Export Crisis)हैं। उन्होंने कहा कि शिपमेंट में देरी और भुगतान को लेकर अनिश्चितता गंभीर वित्तीय तनाव पैदा कर सकती है। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में बासमती चालव की कीमतें पहले ही चार से पांच रुपये प्रति किलो तक गिर चुकी हैं।
संघ इस मुद्दे पर कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा के संपर्क में है। उन्होंने कहा कि संकट पर चर्चा के लिए 30 जून को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक निर्धारित है। सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती चावल बाजार (Basmati Rice Export Crisis)है। भारत ने मार्च में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान ईरान को लगभग 10 लाख टन सुगंधित चावल का निर्यात किया था।