बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच (Bhagirath Manjhi Ticket Issue) एक बार फिर सुर्खियों में है।
‘माउंटेन मैन’ के नाम से मशहूर दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी कांग्रेस टिकट की उम्मीद में दिल्ली पहुंचे थे। चार दिनों तक वहां ठहरने और सभी ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिला।
भगीरथ ने कहा — “मैंने सब कुछ समय पर दिया, उम्मीद थी कि पार्टी भरोसा करेगी, लेकिन अंत में नामों की सूची में मेरा नाम नहीं था।”
“राहुल गांधी से वादा हुआ था, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी”
भगीरथ मांझी ने बताया कि उन्होंने पहले ही राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान चुनावी टिकट की बात की थी। उनका कहना है कि राहुल ने खुद भरोसा दिलाया था कि उन्हें विधानसभा चुनाव में मौका मिलेगा।
भगीरथ बोले — “जब राहुल मेरे घर आए थे, उन्होंने कहा था कि पार्टी मुझे टिकट देगी। उन्होंने मुझे अपने पास बिठाया, अपने हाथों से पानी पिलाया और कहा कि जल्द ही मैं विधायक बनूंगा। लेकिन अब वही टिकट (Bhagirath Manjhi Ticket Issue) अधूरा वादा बन गया।”
कांग्रेस में शामिल होने पर जताई थी उम्मीद
भगीरथ मांझी इस साल की शुरुआत में जनता दल यूनाइटेड (JDU) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उस समय कांग्रेस ने उनके शामिल होने को एक बड़ा सामाजिक प्रतीक माना था।
भगीरथ ने कहा — “जब मैं पार्टी में आया, सबने कहा कि यह सही फैसला है। मैं जनता के बीच काम करना चाहता हूं, लेकिन अब जब वक्त आया, तो टिकट नहीं मिला।”
उनका यह बयान कांग्रेस नेतृत्व के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है, खासकर तब जब चुनावी प्रचार अपने चरम पर है।
“दिल्ली में टिकट की उम्मीद में चार दिन तक रुका”
दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने बताया — “मैं लगातार चार दिन तक वहीं रहा। सब दस्तावेज़ जमा किए।
हर दिन यही उम्मीद थी कि फोन आएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ।”
उनके मुताबिक, इस बार टिकट की उम्मीद इतनी पक्की थी कि उन्होंने अपने क्षेत्र में पहले ही प्रचार की तैयारी शुरू कर दी थी।
लेकिन पार्टी ने जिन नामों की घोषणा की, उसमें उनका नाम शामिल नहीं था।
‘माउंटेन मैन’ का परिवार फिर सुर्खियों में
भगीरथ मांझी का नाम इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उनके पिता दशरथ मांझी, जिन्हें माउंटेन मैन कहा गया, ने अपने दम पर इतिहास रचा था।
गया जिले के गेहलौर गांव में दशरथ मांझी ने अकेले पहाड़ काटकर 110 मीटर लंबा और 30 फीट चौड़ा रास्ता बनाया था।
22 साल की मेहनत से बना यह रास्ता आज भी साहस और जिद की मिसाल माना जाता है।
भगीरथ कहते हैं — “मैं अपने पिता की तरह संघर्ष में भरोसा रखता हूं। टिकट न मिलना मेरा अंत नहीं, बस एक नया अध्याय है।”
राहुल गांधी से पुराना नाता, अब भी उम्मीद बाकी
भगीरथ ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से पहले भी कई बार मुलाकात की है और उनके घर पर आना-जाना रहा है।
उन्होंने कहा — “राहुल जी ने जब राजगीर दौरा किया था, तब मुझे साथ लेकर गए थे। उन्होंने वादा किया था कि वे मेरा घर बनवाएंगे, और उन्होंने वो किया भी। इसीलिए आज भी मुझे भरोसा है कि शायद अगली बार वे अपने वादे पर कायम रहेंगे।”
राजनीतिक संकेत और जनभावनाएँ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि (Bhagirath Manjhi Ticket Issue) कांग्रेस के लिए एक भावनात्मक झटका है।
भगीरथ मांझी न सिर्फ ‘माउंटेन मैन’ के बेटे हैं बल्कि दलित समुदाय में उनकी एक खास पहचान है।
उनका टिकट न मिलना कांग्रेस के सामाजिक संतुलन पर असर डाल सकता है।
वहीं, स्थानीय जनता का कहना है कि भगीरथ मांझी का मैदान में उतरना कई इलाकों में मुकाबले को दिलचस्प बना देता।