सीजी भास्कर, 25 अप्रैल। भारत माला प्रोजेक्ट गड़बड़ी मामले में ACB-EOW ने छापेमारी की है। करीब 17 से 20 अधिकारियों के यहां कार्रवाई चल रही है। SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक समेत राजस्व विभाग के कई अधिकारियों के ठिकानों पर कार्रवाई जारी है।
केंद्र सरकार की एक अहम सड़क विकास योजना है, जिसके तहत देशभर में सड़कों का निर्माण और विस्तार किया जा रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इस योजना के अंतर्गत निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप सामने आए हैं। इन आरोपों के घेरे में कुछ अधिकारी और ठेकेदार बताए जा रहे हैं, जिन पर काम में लापरवाही और घोटाले के आरोप लगे हैं। जांच एजेंसियां अब इन पहलुओं की बारीकी से पड़ताल कर रही हैं।
आपको बता दें कि आज सुबह से नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई सहित प्रदेश के अन्य जिलों में टीम कार्रवाई के लिए पहुंची हुई है।
इससे पहले भारतमाला प्रोजेक्ट में सामने आए कथित मुआवजा घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को चिट्ठी भेजकर शिकायत की थी।
पीएमओ ने महंत की शिकायत पर संज्ञान लिया। खुद डॉ. महंत ने इसकी पुष्टि की थी।
भारत माला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण मामले में 43 करोड़ का घोटाला हुआ है। जमीन को टुकड़ों में बांटकर NHAI को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया गया। SDM, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज बनाकर घोटाले को अंजाम दिया।
कुछ दिनो पहले रायपुर-विशाखापट्टनम तक बन रही (वाइजैग) इकोनॉमिक कॉरिडोर में घोटाले केस में घोटाले की शिकायत के बाद कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड किया गया था। इसके पहले जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था। शशिकांत और निर्भय पर जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद कार्रवाई हुई है। निर्भय कुमार साहू सहित पांच अधिकारी-कर्मचारियों पर 43 करोड़ 18 लाख रुपए से अधिक राशि की गड़बड़ी का आरोप है।
अवर सचिव के निर्देश पर बनी जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है, कि अभनपुर इलाके में पदस्थ अधिकारियों ने बैक डेट में जाकर दस्तावेजों में गड़बड़ी की और जमीन मालिक को नुकसान पहुंचाया।
यह खुलासा अफसरों ने किया, कि अभनपुर के ग्राम नायक बांधा और उरला में चार एकड़ जमीन जो सर्वे से पहले एक परिवार के पास थी। वो सर्वे होने के ठीक कुछ दिन पहले एक ही परिवार के 14 लोगों के नाम पर बांट दी गई। इसके बाद एक ही परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपए की मुआवजा का भुगतान कर दिया गया।
जांच अधिकारियों ने तत्कालीन अफसरों की इस कार्यप्रणाली का सीधा जिक्र अपनी जांच रिपोर्ट में किया है। रायपुर विशाखापट्नम इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुई आर्थिक गड़बडी पर NHAI के अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी।
एनएचएआई की आपत्ति के बाद जांच रिपोर्ट को सचिव राजस्व विभाग को भेजा गया था और मुआवजा वितरण रोका गया था।