रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत हुए करोड़ों रुपये के मुआवजा घोटाले में अब कानून ने सख्त रुख अपना लिया है। रायपुर स्थित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने इस मामले में नामजद छह राजस्व अधिकारियों के खिलाफ उद्घोषणा नोटिस (Proclamation Notice) जारी कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सभी आरोपी यदि 29 जुलाई 2025 तक स्वयं उपस्थित नहीं होते हैं, तो उनकी चल–अचल संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साथ ही उनके खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट (NBW) भी जारी किया जाएगा।
इस मामले में जिन अफसरों के नाम सामने आए हैं, उनमें तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, और पटवारी जितेंद्र कुमार साहू, बसंती घृतलहरे व लेखराम देवांगन शामिल हैं। इन सभी पर भारतमाला सड़क परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में फर्जी तरीके से दस्तावेज़ तैयार कर किसानों को गलत मुआवज़ा दिलवाने और करीब 43 करोड़ रुपये के सरकारी धन के गबन का आरोप है।
गौरतलब है कि भारतमाला योजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा रायपुर से विशाखापट्टनम तक 463 किलोमीटर लंबी फोरलेन सड़क बनाई जा रही है। इसी परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं। जांच एजेंसियों को ऐसे साक्ष्य मिले थे जिससे पता चला कि मुआवजा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर स्वीकृत कराया गया। इन अनियमितताओं को लेकर राज्य सतर्कता आयोग और ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में प्रस्तुत की थी।
कोर्ट का कहना है कि आरोपी अधिकारी जानबूझकर गिरफ्तारी से बच रहे हैं और लगातार फरार चल रहे हैं। ऐसे में उद्घोषणा नोटिस अंतिम चेतावनी के रूप में जारी किया गया है। विशेष न्यायालय ने आदेश दिया है कि इन नोटिसों को सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा किया जाए और सरकारी माध्यमों के जरिए प्रचारित किया जाए ताकि आरोपी जानकारी के बावजूद कोर्ट में हाजिर न होने की स्थिति में न रह सकें।
इस मामले को छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा भूमि अधिग्रहण घोटाला माना जा रहा है। यदि आरोपी नियत समय पर कोर्ट में उपस्थित नहीं होते हैं तो उनकी संपत्तियों की जब्ती, बैंक खातों को सीज करना और स्थायी गिरफ्तारी आदेश जैसी कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।