सीजी भास्कर, 13 सितम्बर | दुर्ग। (Bhilai Kidnapping Case) भिलाई कैंप-1 में अंडा ठेला लगाने वाले दो भाइयों के कथित अपहरण का मामला अब एक अलग ही मोड़ पर पहुंच गया है। शुरुआत में इसे अपहरण बताया गया, लेकिन जांच के बाद सामने आया कि दोनों युवकों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यूपी में दर्ज एफआईआर में दोनों के नाम शामिल ही नहीं हैं।
अपहरण की सूचना से मचा हड़कंप
गुरुवार रात (11 सितंबर) कैंप-1 सुभाष चौक पर चार-पांच लोग अचानक कार से उतरे और ठेला लगाने वाले दोनों भाइयों को जबरन बैठाकर ले गए। परिजन घबराकर तुरंत थाने पहुंचे और पुलिस ने गंभीरता देखते हुए अपहरण का केस दर्ज किया।
लेकिन कुछ ही घंटों बाद कहानी बदल गई। दुर्ग पुलिस ने बताया कि दोनों को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया है और अपहरण की थ्योरी गलत थी।
यूपी में फर्जी पासपोर्ट और वीजा का मामला
सूत्रों के अनुसार, यूपी पुलिस ने दोनों भाइयों को अंबेडकर नगर जिले में दर्ज अपराध क्रमांक 184-25 और 185-25 के तहत पकड़ा है। आरोप है कि ये लोग विदेश भेजने और फर्जी वीजा-पासपोर्ट (Fake Passport Scam) बनाने वाले गिरोह से जुड़े थे।
हालांकि, एफआईआर कॉपी में दोनों का नाम नहीं है। आरोपियों को “अज्ञात” श्रेणी में दर्ज किया गया था, जिसके आधार पर यूपी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया है।
पहला मामला: ठगा गया 90 हजार और फर्जी टिकट
पहले केस (FIR 184-25) में शिकायतकर्ता विजय कुमार निषाद ने आरोप लगाया कि अरेबियन इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी ने उसे इजराइल भेजने के नाम पर 95 हजार रुपए लिए। वीजा और फ्लाइट टिकट भी थमाया गया, लेकिन फ्लाइट से पहले सभी आरोपी फरार हो गए और ऑफिस बंद मिला।
दूसरा मामला: लाखों की ठगी
दूसरे केस (FIR 185-25) में शिकायतकर्ता रामवृक्ष और अन्य लोगों से विदेश भेजने के नाम पर करीब 2 लाख रुपए वसूले गए। नकली वीजा और टिकट भी दिए गए। यही नहीं, नरसिंह, बाबूराम और नजीम अली से भी अलग-अलग रकम लेकर फर्जी वीजा जारी किए गए।
दुर्ग पुलिस और परिजनों का विरोधाभास
दुर्ग एएसपी सुखनंदन राठौर का कहना है कि यूपी पुलिस ने गिरफ्तारी की सूचना दी थी। लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के कारण जानकारी समय पर नहीं पहुंच सकी।
वहीं, परिजनों का दावा है कि उन्हें किसी ने कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी। एक दिन बाद जाकर बताया गया कि दोनों भाई यूपी पुलिस की हिरासत में हैं।
यूपी पुलिस की सफाई
यूपी पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तारी विधिवत की गई है और परिजनों को जानकारी दी गई थी। हालांकि, सूचना समय पर दुर्ग पुलिस तक नहीं पहुंच पाई, जिसके कारण भ्रम की स्थिति बनी।
मामले में कई सवाल बाकी
(Bhilai Kidnapping Case) अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब एफआईआर में दोनों भाइयों का नाम दर्ज नहीं है, तो उन्हें अज्ञात आरोपी मानकर कैसे गिरफ्तार किया गया? साथ ही, परिजनों का यह भी आरोप है कि उन्हें अंधेरे में रखा गया।
यह पूरा मामला अब “अपहरण” से “गिरफ्तारी” में बदल चुका है, लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं।