सीजी भास्कर, 16 अक्टूबर। भाकपा (माओवादी) के वैचारिक संगठन केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (सीआरबी) के सचिव और पोलित ब्यूरो सदस्य शीर्ष नेता भूपति उर्फ सोनू के आत्मसमर्पण (Bhupathi surrender) के साथ ही बंदूक के दम पर खड़ा पांच दशक पुराना माओवादी संगठन अब बिखराव की कगार पर पहुंच गया है।
बुधवार को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष 60 साथियों के साथ भूपति के आत्मसमर्पण के बाद माओवादी संगठन के भीतर तेजी से दरारें दिखने लगी हैं। इसका सीधा असर अब छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में दिख रहा है।
सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के अधीनस्थ माड़ डिविजन के करीब 120 माओवादी हथियारों के साथ आत्मसमर्पण की तैयारी में हैं।
यह समूह संगठन के प्रवक्ता और 25 लाख के इनामी माओवादी रूपेश के नेतृत्व में इंद्रावती नदी पार कर भैरमगढ़ क्षेत्र में पुलिस की सुरक्षा घेरे में एकत्र हो रहा है, जहां से उन्हें सुरक्षा घेरे में जगदलपुर लाने की तैयारी है।
इससे एक दिन पहले कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र से भी माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा। यहां डीकेएसजेडसी सदस्य और 25 लाख के इनामी माओवादी भास्कर व राजू सलाम के नेतृत्व में 50 माओवादी हथियारों के साथ बीएसएफ कैंप पहुंचकर आत्मसमर्पण कर चुके हैं और वहां से उन्हें सुरक्षा के बीच जगदलपुर लाया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि शुक्रवार को जगदलपुर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा के सामने सभी माओवादी आधिकारिक रूप से हथियार डालकर आत्मसमर्पण करेंगे। पुलिस की ओर से इस समर्पण को लेकर लगातार गोपनीयता बरती जा रही है।
इस सामूहिक आत्मसमर्पण के साथ माओवादी संगठन का दंडकारण्य नेटवर्क अब लगभग पूरी तरह कमजोर पड़ चुका है। भूपति के समर्पण ने माओवाद के उस वैचारिक ढांचे को हिला दिया है, जो दशकों से संगठन की रीढ़ माना जाता था।