सीजी भास्कर, 09 अक्टूबर। नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के तीन सदस्यों को दुर्ग पुलिस मुम्बई से दबोच भिलाई ले आई है। पकड़े गए आरोपी विदेश में स्कैम करने की ट्रेनिंग दिलाते थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानव तस्करी, साइबर स्लेवरी से संबंधित इन आरोपियों का तार विदेश लाओस से जुड़ा हुआ है। दुर्ग पुलिस की टीम ने मुंबई में आरोपियों को घेराबंदी कर पकड़ा और इनके कब्जे से घटना में प्रयुक्त मोबाईल फोन को भी जब्त कर लिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार भिलाई निवासी प्रार्थी ने सायबर रेंज थाना दुर्ग आकर रिपोर्ट दर्ज कराया कि लाओस में कम्प्युटर आपरेंटर के पद पर अधिक सैलरी में काम कराने का विज्ञापन दिखाकर 2 लाख प्राप्त कर धोखाधड़ी किया गया है। सायबर थाना दुर्ग में बीएनएस की धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। प्रार्थी से पूछताछ पर यह तथ्य भी सामने आया कि उसे लाओस में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर नौकरी लगवाने के नाम पर आरोपियों के द्वारा जहाँ भेजा गया था वहीं पर जाने के बाद प्रार्थी को स्कैम करने कि ट्रेनिंग 2 दिन तक दिया गया। स्कैम करने से मना करने पर इनके एजेंट एडी अली और जैक के द्वारा एक कमरे में अपने साथ रखे थे। उसका भुगतान भी नहीं करना बताये जाने से प्रकरण में मानव तस्करी से संबंधित धारा 143 (2) बीएनएस जोड़ी गई है। अपराध की प्रकृति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराकर डीएसपी श्रीमती शिल्पा साहू की नेतृत्व में विवेचना में लिया गया।
आईजी दुर्ग रेंज राम गोपाल गर्ग के मार्गदर्शन में पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला के निर्देशन में सीएसपी दुर्ग चिराग जैन व एसडीओपी बालोद देवांश सिंह राठौर, श्रीमती शिल्पा साहू डीएसपी के नेतृत्व में सायबर थाना में आरोपी साजन शेख, रफीक उर्फ रफी एवं महिला आरोपी की पतासाजी हेतु तकनीकी साक्ष्य, बैंक डिटेल एकत्र कर आरोपी का लोकेशन गोरेगांव मुम्बई एवं आसपास के क्षेत्र का होना पाया गया। आरोपी के पतासाजी हेतु देवांश सिंह राठौर एसडीओपी बालोद के नेतृत्व में उप निरीक्षक नवीन राजपुत के हमराह सायबर थाना दुर्ग रेंज से 5 सदस्यीय विशेष टीम बना कर मुम्बई रवाना किया गया। टीम द्वारा गोरेगांव मुम्बई जाकर आरोपियों के मोबाईल नंबर के लोकेशन एवं सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान करने टीम द्वारा कैम्प किया गया तथा आरोपी द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए एवं अपनी पहचान छिपाने के लिए मुम्बई में अलग अलग लोकेशन बदल कर रह रहे थे।
टीम ने बताया कि आरोपी साजन शेख एवं रफीक उर्फ रफी को गोरेगांव मुम्बई से रेल्वे स्टेशन भीड भाड ईलाके से दो दिनों तक सतत निगरानी रखकर घेराबंदी कर पकड़ा गया तथा प्रकरण की अन्य महिला आरोपी के घर में छिपा कर रखे थे, जहां से काफी परेशानियों से स्थानीय पुलिस की मदद से बाहर निकाला गया एवं थाना गोरेगांव पश्चिम में लाकर गिरफ्तार किया गया। टीम द्वारा स्थानीय थाना गोरेगांव पश्चिम मुम्बई से मदद लेकर रेड कार्यवाही कर आरोपी के कब्जे से घटना में प्रयुक्त 3 मोबाईल जब्त किया गया है एवं आरोपी को न्यायिक रिमांड पर भेजा जा रहा है।प्रकरण में पूछताछ करने पर यह तथ्य सामने आया कि साजन शेख उम्र 36 वर्ष निवासी लिंक रोड गोरेगांव एवं सहयोगी महिला विदेश में नौकरी करने का विज्ञापन दिखाकर इच्छुक लोगो को विदेश में नौकरी लगवाने का काम करते थे। जो वर्ष 2022 में वीएस इंटरप्राइजेज मैनपावर कंसल्टेंसी प्रायवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाए जो कि लाईसेंसी नहीं है। इस कंपनी के माध्यम से गल्फ कंट्री साउदी, दुबई, ओमान, कुवैत में नौकरी लगाने एवं विजा सर्विस देने के नाम पर पैसा लेते है।
प्रकरण के प्रार्थी से रफी उर्फ रफीक खान ने ओमान लाओस में कम्प्यूटर आपरेटर का काम बताकर साजन शेख और महिला आरोपी गोरेगांव वेस्ट से मुलाकात कराया। रफीक ने बताया कि वह कंपनी मे एजेंट का काम करता है। उक्त कंपनी का संचालक साजन शेख और सहयोगी महिला (आरोपी) है। तीनों ने प्रार्थी को विश्वास में लेकर प्रार्थी को लाओस में स्थित गोल्डन ट्राइंगल में गोल्डन लिंक सर्विस ट्रेड कंपनी में कम्प्यूटर ऑपरेटर की नौकरी लगाने का आफर दिया जिसकी सर्विस चार्ज के नाम पर प्रार्थी से दिनांक 11 अगस्त को 50000 रूपये रफीक उर्फ रफी खान के फोन नंबर पर यूपीआई ट्रांजेकशन एवं दिनांक 12 अगस्त को 1 लाख 50 हजार रूपये रफीक उर्फ रफी खान के बैंक आफ बड़ौदा के बैंक खाते में अपने बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते से ट्रांसफर करवाया गया। इसके बाद आरोपियों के द्वारा एयर टिकट कर प्रार्थी को थाईलैण्ड होते हुए लाओस भेजा गया। लाओस में जाकर प्रार्थी को गोल्डन ट्रेंगल एरिया में ले जाया गया, जहां प्रार्थी को कंपनी के मैनेजर से मिलवाया गया जो विदेशी व्यक्ति था जिसे प्रार्थी नहीं पहचानता है। वहां प्रार्थी को कम्प्यूटर आपरेटर के रूप में काम करने कुछ विडियो दिखाए गए जो कि सायबर फ्राड (स्कैम) की प्रवृत्ति के थे। प्रार्थी द्वारा उक्त काम नहीं करने कहने पर प्रार्थी को चार से पांच दिन वहां रोककर रखे थे।
प्रार्थी द्वारा आरोपियों को फोन से संपर्क कर काम पसंद नहीं आने एवं वापस आने के संबंध में बताये जाने पर आरोपियों के द्वारा पुनः एयर टिकट कर लाओस के एजेंट को स्थानीय मुद्रा दिलवाने के बाद भारत लाया गया। इस प्रकार आरोपियों के द्वारा विदेश में नौकरी लगवाने के नाम पर 2 लाख रूपये प्रार्थी से धोखाधड़ी एवं सायबर सलेवरी का काम करना पाया गया। आरोपियों के द्वारा इसके अतिरिक्त और कई लोगों को इस प्रकार का लालच देकर विदेश में भेजे जाने की भी जानकारी मिली है। लाओस में करीब 8 से 10 लोग देश के विभिन्न हिस्सों से फंसे होने की बात सामने आ रही है। लाओस एवं थाईलैंड में सायबर गुलामी में फंसे लोगों को बचाने हेतु इस कार्य में लगे आरोपियों पर इंटर पोल के माध्यम से कार्यवाही की जावेगी।
आपको बता दें कि सायबर स्लेवरी (गुलामी) के अंतर्गत विदेश में नौकरी करना इस वक्त नौजवानों का सपना बन गया है। इसी का फायदा उठाकर कुछ फर्जी कंपनियां भारतीयों को अपना शिकार बना रही हैं और उन्हे विदेश बुलाकर जबरदस्ती सायबर क्राइम करने को मजबूर कर रही हैं। खासकर कंबोडिया और लाओस के भारतीयों को शिकार बनाया जा रहा है।