सीजी भास्कर, 13 अगस्त। नगर पालिक निगम में 37 पार्षदों का बहुमत लेकर शहर सरकार की कुर्सी पर काबिज कांग्रेस के सिर पर अब बुरी तरह काले बादल मंडराने लगे हैं। निगम चुनाव बाद कांग्रेस के पास 37 पार्षद थे और जब बहुमत की बारी आई तो मेयर प्रत्याशी नीरज पाल ने निर्दलियों को मिलाकर 46 पार्षदों के बहुमत के साथ महापौर की कुर्सी पकड़ी थी। लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद मानो कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गई। कांग्रेस के कई स्थानीय नेता धीरे धीरे भाजपा की ओर कूदने लगे थे। कईयों ने जोड़ तोड़ लगा कांग्रेस छोड़ भाजपा प्रवेश भी कर लिया तो कई मन मसोस अब भी जैसे तैसे संगठन की जिम्मेदारी सम्हाल तो रहे हैं मगर इनकी बैठक अब भाजपा नेताओं के दरवाजे अधिक होती देखी जा रही है। कुल मिलाकर कहां रहें, किधर जाएं, जाएं भी या न जाएं और कुछ बचा ही नहीं…. इसी कश्मकश का दौर सा चल पड़ा है।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में सिंहासन बदलते ही ठोस से ठोस कांग्रेसी का मन भिलाई दुर्ग में अब तक डोल रहा है। अचानक भिलाई निगम में कांग्रेस के 2 पार्षदों की सदस्यता समाप्त हो गई और एक ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस के पास 43 पार्षद ही बचे। फिर पिछली MIC की बैठक बाद कांग्रेस के समर्थन में शहर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का दावा करने वाले निर्दलीय में से 4 पार्षद अचानक भाजपा के पाले में जा कूदे। ऐसे में विपक्ष में बैठी भाजपा के 29 और कांग्रेस के पास 39 पार्षद रह गए।
शहर सरकार का डगमगा रहा सिंहासन, सिपेहसालार ही बदलने लगे हैं पाला
इसी बीच अटकलों का दौर शुरू हो गया जो बताने लगा कि अगर कांग्रेस के चार पार्षद और भाजपा में शामिल हुए तो भाजपा के पास पार्षदों की संख्या बढ़कर 33 और कांग्रेस के पास मात्र 35 ही रह जाएगी। ऐसे में शहर सरकार को बहुमत सिद्ध करने को कहा गया तो संकट खड़ा हो सकता है।हाल ही मे़ कांग्रेस के 3 पार्षदों के इस्तीफा देने की खबर जमकर वायरल हुई, तीनों पार्षद इस्तीफे को हवा देकर मोबाइल बंद रखे हुए हैं। आज की बड़ी चर्चा के मुताबिक एक और महिला पार्षद मेयर नीरज पाल को इस्तीफा सौंपने की तैयारी में है। लगातार पार्षदों के इस्तीफे के बीच अब जहां कांग्रेस की शहर सरकार कमजोर पड़ती दिख रही है वहीं भाजपा मौन तमाशबीन बनी समय की धार पूरी तरह अपने पाले में आने का इंतजार कर रही है।
टाउनशिप को चमकाने के चक्कर में वैशाली नगर को भूला दिया, टाउनशिप के पार्षदों को ही देते रहे कुर्सी
एक ओर लगातार झटके खाने के बाद कांग्रेस जहां संभल नहीं पाई और वार्ड 3 के पार्षद हरिओम तिवारी, वार्ड 6 के पार्षद रविशंकर कुरें और वार्ड 9 की पार्षद रानू साहू ने शनिवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया वहीं अब टाउनशिप के वार्ड से एक और महिला पार्षद के इस्तीफा देने की खबर बलवती होती जा रही है। पहले इस्तीफा दे चुके तीन पार्षदों ने आरोप लगाया था कि वार्ड 1 से 52 तक साफ सफाई का ठेका वैशाली नगर के नाम से होता है लेकिन इसका MIC प्रभारी टाउनशिप में रहने वाले लक्ष्मीपति राजू को बनाया गया है। उनका कहना है कि लक्ष्मीपति राजू ने पिछले ढाई सालों में एक भी बार वैशाली नगर की गंदगी का जायजा नहीं लिया। जब उन्हें वैशाली नगर क्षेत्र के बारे जानकारी नहीं है तो ऐसे में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी गई? ठीक इसी तरह PWD की जिम्मेदारी सेक्टर 5 निवासी एकांक्ष बंछोर को दी गई। एकांक्ष का वैशाली नगर क्षेत्र के विकास और वहां की समस्या से कोई वास्ता ही नहीं है तो वो वहां सही विकास कैसे करेंगे? सबसे अधिक टैक्स और भवन अनुज्ञा वैशाली नगर के लोग पटाते हैं लेकिन भवन अनुज्ञा विभाग का प्रभारी सेक्टर 6 निवासी साकेत चंद्राकर बना दिया गया। टाउनशिप में पेवर ब्लॉक और 40-40 लाख की लागत से डोमशेड बनाए गए लेकिन वैशाली नगर क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया गया।