Bilaspur Mission Hospital Encroachment Case : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर (Bilaspur City) में चल रहे मिशन अस्पताल अतिक्रमण विवाद (Mission Hospital Encroachment) पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
अदालत ने आदेश दिया है कि अस्पताल परिसर की मौजूदा स्थिति (Status Quo) को बरकरार रखा जाए।
इसके साथ ही निगम प्रशासन को आगे की तोड़फोड़ कार्रवाई (Demolition Drive) से फिलहाल रोक दिया गया है।
इस आदेश के बाद मामले में अस्थायी राहत तो मिल गई है,
लेकिन इससे पहले 50 से अधिक मकान ढहाए जाने से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।
लीज विवाद से शुरू हुआ मामला, हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट की दखलअंदाजी
मामला दरअसल लीज नवीनीकरण विवाद (Lease Renewal Dispute) से जुड़ा है।
मिशन अस्पताल की लीज 2014 में समाप्त हो चुकी थी,
और समय पर उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया था।
सोमवार को हाईकोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन की याचिका खारिज कर दी थी,
जिसके बाद नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की।
इस बीच Christian Women’s Board of Mission ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
मंगलवार को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सुनवाई करते हुए
अंतरिम राहत (Interim Relief) दी और जिला प्रशासन को आदेश की प्रति भेजने के निर्देश दिए।
Stay Order के बावजूद बुलडोजर चला, लोगों में उबाल
अदालत के Stay Order आने के बावजूद
प्रशासन ने कार्रवाई जारी रखी, जिससे Christian Community (मसीही समाज) के बीच गुस्सा भड़क गया।
बुधवार को बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और Anti-Demolition Protest किया।
मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया,
लेकिन कई बार प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तनावपूर्ण स्थिति (Tense Situation) बन गई।
पीड़ित पक्ष के अरशद हुसैन ने बताया कि
“हमने दोपहर 12 बजे ही प्रशासन को कोर्ट के मौखिक आदेश की जानकारी दे दी थी,
फिर भी कार्रवाई जारी रखी गई।”
लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने जानबूझकर आदेश की अनदेखी की
और अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ जारी रखी।
अस्पताल प्रबंधन पर व्यावसायिक उपयोग का आरोप
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार,
Mission Hospital Land धार्मिक और सामाजिक सेवा कार्यों के लिए लीज पर दी गई थी (Leased Property),
लेकिन वर्षों से इसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों (Commercial Use) में किया जा रहा था।
इसी कारण से प्रशासन ने इसे अतिक्रमण की श्रेणी (Encroachment Category) में मानते हुए
हटाने की प्रक्रिया शुरू की।
हालांकि, मसीही समाज का कहना है कि
“अस्पताल हमेशा से गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए समर्पित रहा है।”
जनता में प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल
बिलासपुर के स्थानीय लोगों का कहना है कि
“अदालत का आदेश आने के बाद भी कार्रवाई जारी रखना
कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।”
कई सामाजिक संगठनों ने इसे मानवता के खिलाफ कदम (Action Against Humanity) बताते हुए
प्रशासन से जवाब मांगा है।
लोगों का कहना है कि जिन परिवारों के मकान ढहाए गए,
उनमें बुजुर्ग और छोटे बच्चे भी थे,
जिन्हें अब खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश का इंतजार
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने केवल Interim Stay दिया है,
मामले की अंतिम सुनवाई आगामी हफ्तों में होगी।
कलेक्टर को अदालत की प्रति भेज दी गई है और
अब आगे की कार्रवाई Supreme Court Final Verdict पर निर्भर करेगी।
अस्पताल प्रबंधन ने उम्मीद जताई है कि
“न्यायालय से उन्हें उचित राहत मिलेगी
और अस्पताल परिसर को फिर से बहाल करने की अनुमति दी जाएगी।”
स्थानीय स्तर पर तनाव, लेकिन स्थिति नियंत्रण में
अभी क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।
Police and Administration (पुलिस व प्रशासन) दोनों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
प्रशासन ने साफ किया कि आगे कोई कार्रवाई
“बिना कोर्ट की अनुमति (Without Court’s Permission)” के नहीं होगी।
वहीं दूसरी ओर, मसीही समाज के प्रतिनिधि
सामूहिक प्रार्थना और कानूनी लड़ाई दोनों जारी रखे हुए हैं।
