सीजी भास्कर, 6 नवंबर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मंगलवार को हुए ट्रेन हादसे में रेल प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि लोको पायलट विद्यासागर ने अनिवार्य मनोवैज्ञानिक परीक्षा (Bilaspur Train Accident Loco Pilot Psych Test) पास किए बिना ही यात्री ट्रेन का परिचालन किया था। नियमों की अनदेखी करते हुए अधिकारियों ने जानबूझकर उन्हें ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी सौंप दी थी।
चालक के मानसिक संतुलन और त्वरित निर्णय क्षमता का आकलन करने वाली यह परीक्षा रेलवे (Bilaspur Train Accident Loco Pilot Psych Test) में बेहद अहम मानी जाती है। इसमें फेल होने के बाद भी अयोग्य व्यक्ति को ट्रेन संचालन का कार्य सौंपना हादसे का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। यह गंभीर चूक सामने आने के बाद रेल मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों में खलबली मच गई है। हादसे में लोको पायलट विद्यासागर समेत 11 यात्रियों की मौत हो गई थी।
विद्यासागर मालगाड़ी के चालक थे और उन्हें एक माह पहले ही पैसेंजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी। रेलवे नियमों के अनुसार किसी भी चालक को मालगाड़ी से पैसेंजर ट्रेन में पदोन्नत करने से पहले साइको टेस्ट पास करना अनिवार्य होता है। विद्यासागर 19 जून को इस परीक्षा में असफल हो गए थे, जिसके कारण सहायक चालक रश्मि राज को उनके साथ तैनात किया गया था। इसके बावजूद उन्हें ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई, जो अब रेलवे के लिए भारी पड़ गई है।
रेलवे संरक्षा आयुक्त (आरएससी) बी.के. मिश्रा ने गुरुवार को इस मामले से जुड़े 19 कर्मचारियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की। पूछताछ रेल मंडल कार्यालय के सभाकक्ष में की जा रही है, जिसमें तीन डिप्टी सीआरएस, संरक्षा विभाग के अधिकारी और काउंसलर शामिल हैं। शेष कर्मचारियों के बयान सात नवंबर को दर्ज किए जाएंगे। जांच में इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि विद्यासागर की फाइल पर किन अधिकारियों ने प्रमोशन की मंजूरी दी थी।
रेलवे में डीआरएम स्तर पर प्रमोशन का पैनल तैयार किया जाता है। विद्यासागर सहायक लोको पायलट थे, जिन्हें प्रमोशन देकर लोको पायलट बनाया गया था। डीआरएम स्तर से प्रमोशन का अनुमोदन होने के बाद फाइल स्थापना शाखा में जाती है, जहां वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता और परिचालन अधिकारी उसे अंतिम रूप देते हैं। प्रमोशन से पहले साइको टेस्ट पास करना अनिवार्य है, लेकिन इसके बावजूद विद्यासागर को पैसेंजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई। यह स्पष्ट रूप से विभागीय लापरवाही को दर्शाता है।
रेल प्रशासन (Bilaspur Train Accident Loco Pilot Psych Test) की यह चूक न केवल हादसे की वजह बन सकती है, बल्कि इससे सुरक्षा मानकों पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए साइको टेस्ट प्रक्रिया को और सख्त करने और अयोग्य पाए गए चालकों को दोबारा प्रशिक्षण देने की योजना पर विचार किया जा रहा है। बिलासपुर हादसे (Bilaspur Train Accident Loco Pilot Psych Test) के बाद रेलवे संरक्षा आयोग ने सभी जोनों से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है।
परीक्षा में फेल होने के बाद भी दी गई जिम्मेदारी
विद्यासागर 19 जून को साइको टेस्ट में असफल रहे थे। बावजूद इसके उन्हें पैसेंजर ट्रेन का संचालन सौंपा गया। नियमों के अनुसार केवल योग्य चालक ही यात्री ट्रेन चला सकता है, लेकिन अधिकारियों ने इस नियम की अनदेखी की।
रेलवे संरक्षा आयुक्त बी.के. मिश्रा ने जांच शुरू कर दी है। अब तक 19 कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। संरक्षा विभाग और काउंसलर से पूछताछ जारी है, जबकि शेष कर्मचारियों से सात नवंबर को पूछताछ की जाएगी।
