सीजी भास्कर, 01 अक्टूबर। आयकर विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई में उन राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसा है, जिन पर लंबे समय से कालेधन को सफेद करने के आरोप लग रहे थे। शुरुआती जानकारी में खुलासा हुआ कि इन दलों ने बीते पांच वर्षों में कोई चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन इन्हें अरबों रुपये का चंदा मिला। नकदी इतनी अधिक थी कि उसे गिनने के लिए मशीन (Black Money Raid) मंगानी पड़ी।
इस छापेमारी के दौरान आयकर टीम को 150 डेबिट कार्ड, 150 बैंक पासबुक और 30 से अधिक कीपैड वाले मोबाइल मिले। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दलों ने चुनाव आयोग को दिए ब्योरे में अपने खर्च को वास्तविकता से कहीं ज्यादा बताया। एडीआर ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में इस पूरे मामले (Black Money Raid) की ओर इशारा किया था।
अब खुलासा हुआ है कि अहमदाबाद स्थित वर्ल्ड ट्रेड टावर में 11 राजनीतिक दलों के दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापा मारकर करोड़ों रुपये नकद बरामद किए। (Black Money Raid) की इस कार्रवाई ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इनमें से कई दलों के पदाधिकारी झोपड़ी में रहने वाले, ऑटो चालक या छोटे दुकानदार निकले। दरअसल, दानदाताओं से मिला पैसा पांच से दस प्रतिशत कमीशन काटकर वापस नकदी में लौटा दिया जाता था।
दानदाताओं में अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली और जयपुर के उद्योगपति, बिल्डर और व्यापारी शामिल बताए जा रहे हैं। लोकशाही पार्टी, सत्यवादी रक्षक पार्टी, न्यू इंडिया यूनाइटेड पार्टी सहित कई दलों ने चुनाव आयोग को गुमराह करने की कोशिश की। जबकि इनके कुल खर्च 39 लाख रुपये ही सामने आए। एडीआर ने इन दलों पर कर चोरी और मनी लांड्रिंग के आरोप लगाए थे। आयकर विभाग ने ऐसी चार आंगडिया फर्मों पर भी छापा मारा, जो नकदी को एक स्थान से दूसरे स्थान (Black Money Raid) तक पहुंचाने का काम कर रही थीं।