तीसरे दिन लाखों भक्तों ने किया कथा का अमृत पान
सीजी भास्कर, 01 अगस्त। मन मैला है और मंदिर साफ करेंगे तब भी शिव नहीं मिलेंगे,जगत में केवल एक माता-बहन ही ऐसी होती जो अपने लिए कुछ नहीं मांगती अपने परिवार की खुशी ही मांगती है।

स्त्री और पुरुष के मंदिर जाने में अंतर है। पुरुष मंदिर जाए तो वह स्वयं के व्यापार, व्यवसाय और अपनी उन्नति मांगता है लेकिन स्त्री जब मंदिर जाती है तो वह केवल परिवार और हर सदस्य के लिए वर मांगती है।

आज तीसरे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने लाखों भक्तों को महाशिवपुराण कथा सुनाते हुए उक्त बातें कहीं।
पंडित मिश्रा ने कहा कि सारे व्रत माताएं अपने पति, बच्चे, और परिवार के लिए सबके लिए वह व्रत रखती है, लेकिन स्वयं के लिए कभी नहीं। शिवजी ऐसे हैं कि स्त्री यदि स्वयं के लिए कुछ न मांगे लेकिन प्रभु उसे सब कुछ देते हैं।

भारत की भूमि पर जन्म लेने वाला सनातनी सर्वे भवन्तु सुखिन: की भावना लेकर कामना करता है।

उन्होंने संसार में माताओं का महत्व और शिवजी की अनंत कृपा की महिमा बताई। मन और मंदिर साफ हो तो भोलेनाथ की कृपा होगी। मन मैला है और हमने मंदिर साफ किया तो भी श्रेष्ठ नहीं है। मन साफ नहीं कर पाए तो भगवान शंकर की कृपा नहीं होगी।

मन जितना साफ होगा उतना शिवजी हमारे करीब आते जाएंगे। इसलिए मन और मंदिर दोनों साफ़ होना चाहिए। मन यदि काम, तृष्णा, वासना में बंध गया तो ये मन परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता।
सच्चा गुरु कोई श्रेष्ठ गुरु धोबी के समान और शिष्य कपड़े के समान होता जाता है। उसे धोने के लिए वह भगवान के नाम का साबुन बनाता है, उसे सत्संग में ले जाकर बिठा देता है। गुरु अपनी वाणी से शिष्य को धोना प्रारंभ करता है तो उसका रंग निखारने लगता है।

शिव कथा कहती है कि मन साफ कर लेना यानि शिवजी को अपने भीतर प्रवेश कर लेना। यदि पूरा जगत सही तरह से वो केवल माताओं और गौ माता की वजह से ही।
जब तक संसार में सतीत्व वाली माताएं और गौ माता है, तब तक यहां कभी अकाल नहीं पड़ सकता।

आज के कथा में प्रमुख रूप से तृप्ती सिंह प्रदेश अध्यक्ष क्षत्राणी राजपूत संगठन, कुंवर विभूति नारायण सिंह, शिक्षाविद आईपी मिश्रा, स्वीमिंग संघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, पंजा-कुश्ती संघ के प्रदेश अध्यक्ष जी सुरेश बाबे, नेट बॉल खेल संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमन साहनी आदि उपस्थित रहे।