सीजी भास्कर, 09 अप्रैल। राजस्थान के सिरोही जिले के प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख और संस्था की प्रमुख प्रशासक राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का 101 साल की उम्र में निधन हो गया.
अहमदाबाद के जाइडिस अस्पताल में सोमवार की रात 1.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पार्थिक शरीर को मुख्यालय शांतिवन के कॉन्फ्रेंस हाल में अंतिम दर्शनार्थ के लिए रखा गया है. 10 अप्रैल की सुबह 10 बजे राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि आप आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर थीं. आप सदैव प्रकाश, ज्ञान और करुणा के रूप में याद की जाएंगी. आपकी जीवन यात्रा सादगी और सेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता में निहित रही. आपकी विनम्रता, धैर्य, विचारों की स्पष्टता और दयालुता सदा याद रही. दुख की घड़ी मैं ब्रह्माकुमारीज़ के साथ हूं.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, सीएम भजनलाल शर्मा, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमन डेका और सीएम विष्णु देव साय, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके निधान पर गहरी संवेदना जाहिद की है.
देश और दुनिया में शोक की लहर : दादी रतनमोहिनी के निधन परसे संस्थान के विश्व भर में फैले सेवाकेंद्रों और साधकों में शोक की लहर है. मुख्यालय में अखंड योग-साधना का दौर जारी है.
लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है उनकी युवा पदयात्रा : बता दें कि 4 साल पहले दादी हृदयमोहिनी के देहावसान के बाद दादी रतनमोहिनी मुख्य प्रशासिका बनीं थीं. पिछले 40 साल से आप संस्थान के युवा प्रभाग की अध्यक्षा रहीं. दादी रतनमोहिनी के नेतृत्व में वर्ष 2006 में भारत भर में निकाली गई युवा पदयात्रा को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज किया गया था. 2014 को गुलबर्गा विश्वविद्यालय ने दादी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा था.
88 साल पहले ब्रह्मकुमारीज से जुड़ी थीं दादी : रतनमोहिनी 13 वर्ष की आयु में ही ब्रह्माकुमारीज से जुड़ गई थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज कल्याण में समर्पित कर दिया. 101 वर्ष की आयु में भी दादी की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हो जाती थी. सबसे पहले वह परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती थी. राजयोग मेडिटेशन उनकी दिनचर्या में शामिल रहा.