सीजी भास्कर, 2 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक एनजीओ की याचिका (CAA Voter Rights) पर केंद्र, चुनाव आयोग और बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिका में सीएए के तहत 2014 से पहले बांग्लादेश से आए हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के लिए एसआईआर की मांग की गई है।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने एनजीओ ‘आत्मदीप’ द्वारा दाखिल याचिका पर संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है।
याचिका के अनुसार, 2014 से पहले भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले कई प्रवासी धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश से भागकर भारत आए, लेकिन आज तक न तो उन्हें राहत मिली और न ही उनके आवेदनों पर कोई प्रगति हुई। याचिका में कहा गया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के अनुसार ऐसे उत्पीड़ित अल्पसंख्यक भारतीय नागरिकता के पात्र हैं।
सीएए के प्रावधान अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों पर लागू होते हैं, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में प्रवेश किया हो और जिन्हें पासपोर्ट अधिनियम 1920 या विदेशी अधिनियम 1946 के तहत छूट प्राप्त हो।
याचिका में यह भी उल्लेख है कि 2019 के संशोधन ने इन समूहों को भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करने की अनुमति दी, लेकिन प्रशासनिक देरी के कारण कई पात्र प्रवासियों के आवेदन अब भी लंबित पड़े हैं (CAA Voter Rights)। एनजीओ ने बताया कि बड़ी संख्या में ये प्रवासी वर्षों से भारत में रह रहे हैं और कई के नाम 2025 की मतदाता सूची में पहले से शामिल हैं।
याचिका में तर्क दिया गया है कि जब तक एसआईआर प्रक्रिया चल रही है, इन व्यक्तियों को मताधिकार से वंचित न करने के लिए उन्हें मतदाता पंजीकरण का अधिकार दिया जाना चाहिए, ताकि वे आगामी चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
