सीजी भास्कर, 19 दिसंबर। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति की अहम बैठक (Caste Certificate Inquiry) नवा रायपुर स्थित आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। बैठक का नेतृत्व प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने किया।
बैठक की विशेष उपलब्धि यह रही कि समिति ने एक ही दिन में कुल 22 प्रकरणों की सुनवाई और समीक्षा की। साथ ही पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्षकार को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया, जिसे प्रशासनिक प्रक्रिया में बड़ा सुधार माना जा रहा है। यह कदम सुनवाई को और अधिक पारदर्शी, सुलभ और समयबद्ध बनाएगा।
बैठक में कुल 12 प्रकरणों की प्रत्यक्ष सुनवाई हुई, जिनमें से 10 जाति जांच से संबंधित प्रकरणों में पक्षकार मौजूद रहे। सरगुजा के अंबिकापुर से एक पक्षकार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखा, वहीं एक पक्षकार अनुपस्थित रहा।
इसके अलावा 10 अन्य प्रकरण विचारार्थ समिति के समक्ष प्रस्तुत हुए। समिति ने 05 प्रकरणों की सुनवाई पूर्ण करते हुए आदेश जारी करने निर्देशित किया। शेष 17 प्रकरणों में प्रमाण पत्र धारकों को अंतिम अवसर देते हुए आगामी बैठक में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए।
समिति लगातार प्रकरणों की सुनवाई कर रही है, जिससे जाति प्रमाण पत्र और सामाजिक प्रास्थिति के मामलों के शीघ्र समाधान की प्रक्रिया तेज हुई है। सर्वाेच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय से संबंधित प्रकरणों पर भी नियमानुसार पारदर्शी एवं समयबद्ध कार्रवाई की जा रही है। इस बैठक में बड़ी संख्या में पक्षकार और अधिवक्ता उपस्थित रहे और अपना पक्ष रखा।
बैठक (Caste Certificate Inquiry) में आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास डॉ. सारांश मित्तर, संस्थान की संचालक हिना अनिमेष नेताम, लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक ऋतुराज रघुवंशी सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे। वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भू-अभिलेख संचालक विनीत नंदनवार बैठक से जुड़े।
ज्ञात हो कि अदालत के निर्देश और अधिनियम 2013 के तहत गठित सात सदस्यीय समिति अर्द्ध न्यायिक स्वरूप में कार्य कर रही है। समिति निष्पक्ष और सुव्यवस्थित ढंग से प्रकरणों का निपटारा सुनिश्चित कर रही है, जिससे जाति प्रमाण पत्र संबंधी विवादों के समाधान में तेजी आई है। यह पहल प्रशासनिक संवेदनशीलता और जवाबदेही का उदाहरण बनकर उभरी है।


