सीजी भास्कर, 15 अगस्त : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने (CBSE Court Case Chhattisgarh) से जुड़े एक जनहित याचिका मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि चूंकि मुद्दा सीधे तौर पर सीबीएसई स्कूलों के छात्रों के अधिकारों और हितों से जुड़ा है, इसलिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) को भी केस में पक्षकार बनाया जाएगा। अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देते हुए अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच के समक्ष बुधवार को यह मामला सुनवाई के लिए आया। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन. भारत ने अदालत को अवगत कराया कि प्रतिवादी की ओर से उन्हें निर्देश प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन अभी तक लिखित जवाब दाखिल नहीं किया गया है। उन्होंने अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
अदालत (CBSE Court Case Chhattisgarh) ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुर्या कवलकर डांगी को निर्देशित किया कि वे याचिका के शीर्षक में सीबीएसई को भी प्रतिवादी के रूप में शामिल करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला सीधे तौर पर सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के विद्यार्थियों के अधिकारों से जुड़ा है, इसलिए बोर्ड का पक्ष अदालत के समक्ष आना आवश्यक है।
इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से डीएसजीआइ आर.के. मिश्रा और सीजीसी तुषार धर दीवान उपस्थित रहे। वहीं, राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन. भारत और डिप्टी एजी शशांक ठाकुर पेश हुए। अदालत (CBSE Court Case Chhattisgarh) ने मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर 2025 को निर्धारित की है।
तब तक राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा और सीबीएसई को नोटिस जारी कर उसे भी जवाब देने का अवसर दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीएसई की भागीदारी से मामले की सुनवाई और भी निष्पक्ष और प्रभावी होगी। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि छात्रों के हितों से जुड़े सभी पक्षों की राय अदालत के समक्ष हो।
यह मामला अब न केवल राज्य सरकार और याचिकाकर्ता के बीच, बल्कि केंद्र सरकार और सीबीएसई जैसे राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है। अगली सुनवाई में यह साफ होगा कि बोर्ड इस मुद्दे पर अपना क्या पक्ष रखता है और राज्य सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।